Fact Check. मुस्लिम SP ने नहीं की थी पुजारी की पिटाई, मंदिर पर हुई कार्रवाई ऐसे बनी सांप्रदायिक
रीवा. मध्य प्रदेश के रीवा में पुलिस ने पुजारी की पिटाई की ये खबर लगातार चर्चा में है। लॉकडाउन के बाद भी मंदिर में जमावड़ा जमाने के आरोप में पुलिस ने पुजारी पर कार्रवाई की थी। इस घटना की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा था। बड़े-बड़े नेताओं ने पुलिसकर्मी पर कार्रवाई की मांग की। दरअसल वीडियो में जो पुलिसकर्मी पुजारी की पिटाई करता नजर लोगों ने उसे मुस्लिम बताया। बस फिर क्या था इस घटना को सांप्रदायिक रंग देते ही लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। इसपर सियासत भी तेज हो गई थी। पर अब इस घटना से जुड़ी ऐसी सच्चाई सामने आई है कि लोग दंग रह जाएं। फैक्ट चेकिंग में आइए जानते हैं कि आखिर असलियत क्या है?
Asianet News Hindi | Published : Apr 4, 2020 7:57 AM IST / Updated: Apr 04 2020, 01:46 PM IST
दरअसल, यह वीडियो मध्यप्रदेश के रीवा शहर का है जहां पुलिस को सूचना मिली थी की एक धार्मिक स्थान पर 50 से अधिक लोग खड़े हैं। जिसके बाद पुलिस शहर के ढेकहा स्थित देवी मंदिर पहुंची और वहां खड़े भीड़ को खदेड़ दिया। इसी दौरान एक पुलिस वाले ने मंदिर के पुजारी की जमकर पिटाई कर दी।
बता दें कि सरकार ने कोरोना के खतरे को देखते हुए लॉकडाउन की घोषणा की है साथ ही किसी भी धार्मिक स्थल पर भीड़ पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके बाद लोगों ने सोशल मीडिया पर इस घटना की तस्वीरें और वीडियो वायरल कर दिए। लोगों ने दावा किया कि, मंदिर में पुजारी अकेले पूजा-पाठ कर रहा था और रीवा के मुस्लिम एसपी आबिद खान ने जबरन पुजारी को पीटा और मंदिर को तहस-नहस कर दिया।
वायरल पोस्ट क्या है? फेसबुक, ट्विटर पर कुछ यूजर्स ने तस्वीरें शेयर कर लिखा कि, राम नवमी के अवसर पर पुजारी, आरती और कपूर लगाने के लिए अकेले आया था। अचानक आई पुलिस ने पुजारी को पीटना शुरू कर दिया। पूजा को खंडित किया गया, पूजा स्थल कपूर और दिए को बूट से कुचल दिया। सब तहस-नहस कर फैला दिया। ये सब रीवा के एसपी आबिद खान ने किया जबकि पुजारी मंदिर में अकेला देवी मां की आराधना कर रहा था।
क्या दावा किया जा रहा? सोशल मीडिया पर लोगों ने लिखा कि चीखता रहा पुजारी- "मां के नवरात्रि का अंतिम दिन है., दीपक जलाने आया हूं साहब।" इस घटना पर लोगों का गुस्सा फूटा था। ट्विटर पर ट्रेंड चलने लगा #आबिद_खान_को_बर्खास्त_करो।
वीडियो वायरल होने के बाद रीवा से कांग्रेस नेता राजेन्द्र शुक्ल ने भी घटना को तूल दिया। उन्होंने लिखा- पुलिस ने मंदिर में बूट से कलश तोड़े और दिए भी बुझाए जबकि मंदिर में सिर्फ एक पुजारी ही मौजूद था। शिवराज जी सत्ता के नशे में इतना भी मत रहिए कि ईश्वर के सेवकों के साथ ऐसा अमानवीय व्यवहार करें।
दावे की सच्चाई क्या है? सच ये है कि तस्वीर में दिख रहे शख्स रीवा के एसपी आबिद खान नहीं हैं। वो मौके पर गए तक नहीं थे। जो शख्स फोटो में नज़र आ रहा है वो सिविल लाइन थाना प्रभारी राजकुमार मिश्रा हैं। पुजारी मंदिर में अकेले नहीं थे. महिलाओं की भीड़ इकट्ठा किए हुए थे। इसकी तस्वीरें और वीडियो खुद पुलिस ने जारी की हैं। महिलाओं का जमावड़ा लगा था और लोग लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ा रहे थे।
एक्शन सिर्फ मंदिर पर नहीं मस्जिदों और मजारों पर भीड़ लगाने वालों पर भी लिया गया था। पुलिस के मुताबिक पुजारी उपेंद्र कुमार पांडेय को पहले भी तीन बार समझाया गया था लेकिन वो लगातार भीड़ जमाते रहे। लिहाजा पुलिस ने भीड़ को भगाने के लिए बलप्रयोग किया। पुजारी पर थाना प्रभारी उन्हीं की छड़ी से बलप्रयोग करते दिखे।
ये निकला नतीजा- पूरे मामले पर सिविल लाइन थाना प्रभारी राजकुमार मिश्रा का कहना है कि उन्हें सूचना मिली थी कि एक धार्मिक स्थल पर भीड़ इक्कठी हो गई है। जब पुलिस मौके पर पहुंची तो वहां कुछ महिलाओं समेत करीब 50 लोग खड़े थे। लेकिन जैसे ही लोगों ने पुलिस को देखा वे भाग खड़े हुए। हमने पुजारी को मंदिर में फिर से भीड़ नहीं एकत्रित करने की हिदायत बस दी है। भगदड़ मचने की वजह से मंदिर में तोड़फोड़ नजर आई पुलिस ने किसी भी तरह मंदिर को क्षतिग्रस्त नहीं किया था। पुजारी की भी पिटाई नहीं की बस सख्ती से समझाया गया।