FACT CHECK: लॉकडाउन में बाहर घूम रहे मनचलों को पकड़ कोरोना मरीज के साथ बंद कर रही पुलिस, जानें सच

नई दिल्ली. कोरोना लॉकडाउन का पालन करवाने के लिए पुलिस तरह-तरह के हथकंडे अपना रही है। इस बीच सोशल मीडिया पर एक मजेदार वीडियो वायरल हो रहा है। वीडियो में लॉकडाउन के दौरान बाइक पर घूम रहे कुछ युवकों को पुलिस चेकपोस्ट पर रोकती है युवकों ने मास्क भी नहीं पहने हैं, ऐसे में पुलिसकर्मी उन्हें एक एंबुलेंस में बंद कर देते हैं जिसमें पहले से ही एक मरीज लेटा दिखता है। इसके बाद युवक एंबुलेंस से बाहर निकले की कोशिश करते हैं, लेकिन पुलिसकर्मी उन्हें अंदर धकेलते हैं। सोशल मीडिया पर लोगों का दावा है कि पुलिस मनचलों को पकड़कर कोरोना मरीज के साथ बंद कर रही है।
 

फैक्ट चेकिंग में आइए जानते हैं कि आखिर सच क्या है?

Asianet News Hindi | Published : Apr 26, 2020 11:33 AM IST / Updated: Apr 26 2020, 05:25 PM IST

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FACT CHECK: लॉकडाउन में बाहर घूम रहे मनचलों को पकड़ कोरोना मरीज के साथ बंद कर रही पुलिस, जानें सच

फेसबुक, व्हाट्सएप सभी जगह वीडियो शेयर किया जा रहा है। लोग इस वीडियो के साथ तरह-तरह के दावे कर रहे हैं। कुछ लोगों का कहना है कि पुलिस सड़क पर घूमने वाले मनचलों को पकड़ रही है तो कोई कह रहा है कि पुलिस लॉकडाउन तोड़ने वालों को ऐसे डरा रही है। 

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वायरल पोस्ट क्या है 


फेसबुक यूजर सतीष मिश्र ने वडियो पोस्ट कर लिखा कि,  तमिलनाडु में पुलिस ने बेवजह सड़कों पर घूम रहे मनचलों को काबू करने के लिए यह तरीका अपनाया है। पुलिस ऐसे लोगों को नकली कोरोना पेशेंट के साथ एंबुलेंस में बंद कर रही है। हालांकि बाद में यूजर ने वीडियो डीलिट कर दिया।

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क्या दावा किया जा रहा है ?

 

लोगों का दावा है कि पुलिस किसी भी शख्स को बाहर घूमता देख एंबुलेंस में मौजूद कोरोना मरीज के साथ बंद कर दे रही है। 

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सच क्या है? 

 

वायरल हो रहा यह वीडियो असल में तमिलनाडु के तिरुपुर जिले का है यहां पुलिस ने जागरूकता फैलाने के लिए यह वीडियो शूट किया है, ताकि लोगों को स्थिति की गंभीरता को समझाया जा सके। वीडियो के अंत में भी पुलिसकर्मी तमिल भाषा में यह बताती हैं कि इस वीडियो के जरिये यह बताने की कोशिश की जा रही है कि आप घरों में रहें और सुरक्षित रहें। वीडियो के अंत में पुलिसकर्मियों के साथ तीनों युवक भी मास्क पहने खड़े नजर आते हैं। 

 

तिरुपुर जिले की एसपी आईपीएस दिशा मिश्रा ने बताया कि यह वीडियो दो-तीन दिन पहले ही शूट किया गया था। वीडियो शूट करने के पीछे मकसद लोगों को यह समझाना था कि जब तक वायरस का खतरा किसी को नजर नहीं आ रहा, तब तक लोग इसे हलके में लेते हैं, लेकिन जैसे ही उन्हें यह खतरा दिखता है वे अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागते हैं

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वीडियो में भी एक्टिंग कर रहे युवक बिना मास्क पहने बेखौफ घूमते नजर आते हैं, लेकिन जैसे ही उन्हें एंबुलेंस में बंद किया जाता है जिसमें पहले से ही नकली कोरोना पेशेंट लेटा होता है, वे अपनी जान बचाने के लिए भागने का प्रयास करते हैं।

दरअसल पुलिस द्वारा जारी किए गए असली वीडियो से डिसक्लेमर हटा दिया गया था। 

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इस डिसक्लेमर में साफ लिखा है कि यह वीडियो सभी एहतियाती उपाय बरतने के बाद शूट किया गया है और इसका मकसद केवल लोगों को जागरूक करना है। वायरल वीडियो से यह डिसक्लेमर हटा दिया गया और उसके बाद फर्जी दावे के साथ शेयर किया जा रहा है। 

 

यह तस्वीर अमृतसर की है। लोगों कोरोना संक्रमण खतरे को हल्के में ले रहे हैं। लिहाजा, पुलिस को सख्त होना पड़ रहा है।

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ये निकला नतीजा 

 

पड़ताल में साफ हुआ कि वायरल वीडियो कोई सच्ची घटना नहीं है, बल्कि यह जागरूकता फैलाने के लिए तमिलनाडु पुलिस की ओर से शूट किया गया एक वीडियो है जिसमें दिख रहे लोग एक्टिंग कर रहे हैं। 

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