वाइल्डलाइफ़ एक्सपर्ट्स का मानना है कि विस्फोटक और अलग-अलग तरह के जाल का इस्तेमाल सिर्फ़ केरल में ही नहीं पूरे भारत में किया जाता है। वाइल्डलाइफ़ साइंस कॉलेज ऑफ़ फॉरेस्ट्री के पूर्व प्रोफ़ेसर डॉ. जैकब चीरन ने बीबीसी हिन्दी को बताया, ''यह हाथियों के लिए नहीं होता, ये मुख्यरूप से जंगली सुअरों के लिए होता है जो खेतों में घुसकर फ़सलें तबाह कर देते हैं, यह कोई नई बात नहीं है।''
आमतौर पर हाथी कॉफ़ी या दूसरे पौधों को नुक़सान नहीं पहुंचाते, वो सिर्फ़ धान और केले की फ़सलों का रुख़ करते हैं।'' इस पूरे मामले में ये सच भी सामने आया कि बीते दिनों जिन हाथियों की मौत हुई है उसमें स्थानीय लोगों ने खतरनाक विस्फोटक का इस्तेमाल करके ये तरकीब अपनाई थी।