क्या रेलवे के निजीकरण के बाद 3 रु. वाला टिकट हुआ 50 रुपये का? जानें वायरल पोस्ट का सच!

फैक्ट चेक डेस्क. Railways Privatization fact check: सोशल मीडिया पर रेलवे के निजीकरण की खबरें वायरल हो रही हैं। इस पोस्ट में दावा किया गया है कि कांग्रेस के शासन में रेलवे सरकारी था, इसलिए प्लेटफॉर्म टिकट 3 रुपये का था। वहीं, बीजेपी के शासन में रेलवे प्राइवेट हो गया है, इसी कारण से प्लेटफॉर्म टिकट 50 रुपये का हो गया है। फैक्ट चेक में आइए जानते हैं कि आखिर रेलवे निजीकरण के इन दावों में कितनी सच्चाई है?  

Asianet News Hindi | Published : Aug 26, 2020 11:10 AM IST / Updated: Aug 26 2020, 04:43 PM IST
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क्या रेलवे के निजीकरण के बाद 3 रु. वाला टिकट हुआ 50 रुपये का? जानें वायरल पोस्ट का सच!

बहुत संस्थानों को निजीकरण की बातें चल रही हैं। इस बीच रेलवे को भी प्राइवेटाइजेन किए जाने के दावे किए जा रहे हैं। लोग धड़ाधड़ ऐसी पोस्ट शेयर कर रहे हैं।  

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वायरल पोस्ट क्या है? 

 

इस पोस्ट में लिखा है कि कांग्रेस के शासन काल में रेलवे सरकारी था। इसी कारण प्लेटफॉर्म टिकट 3 रुपये का मिलता था। बीजेपी के शासन में रेलवे प्राइवेट हो गया है। इसी कारण से प्लेटफॉर्म टिकट 50 रुपये का कर दिया गया है। इसी के साथ दो फोटो दी गई हैं। एक फोटो में 3 रुपये के भुगतान वाला प्लेटफॉर्म टिकट है, जबकि दूसरी फोटो में 50 रुपये के भुगतान वाला प्लेटफॉर्म दिखाई दे रहा है।

 

यूट्यूब पर वीडियो भी शेयर किया जा रहा है कि रेलवे का निजीकरण किया जा रहा है, प्लैटफॉर्म टिकिट भी पहले के मुकाबले महंगा हो गया है। 

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फैक्ट चेक

 

इस पोस्ट में रेलवे के निजीकरण की बात की गई थी, तो हमने इस की जांच करने का फैसला किया। सबसे पहले हमने ये जानने की कोशिश की कि प्लेटफॉर्म का टिकट 50 रुपये होने की बात कितनी सही है। इस पर हमें नवभारत टाइम्स की वेबसाइट का लिंक मिला। इसमें बताया गया है कि रेलवे के पुणे डिवीजन में प्लेटफॉर्म टिकट का दाम बढ़ाकर 50 रुपये किया गया है।

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इसी के साथ ही हमें रेलवे के प्रवक्ता का ट्वीट मिला, जिसमें लिखा था – पुणे जंक्शन द्वारा प्लेटफार्म टिकट का मूल्य 50 रुपये रखने का उद्देश्य अनावश्यक रूप से स्टेशन पर आने वालों पर रोक लगाना है, जिससे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा सके। रेलवे प्लेटफॉर्म टिकट की दरों को कोरोना महामारी के शुरुआती दिनों से ही इसी प्रकार नियंत्रित करता आया है। इससे पता चलता है कि प्लेटफॉर्म टिकट का मूल्य 50 रुपये करने का निजीकरण से कोई लेना-देना नहीं है। 

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रेलवे के निजीकरण को लेकर हमें रेल मंत्री पीयूष गोयल का बयान मिला। इस बयान moneycontrol.com में छपी खबर के अनुसार, भारतीय रेलवे के निजीकरण की खबरों पर केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने साफ-साफ कहा है कि रेलवे का निजीकरण नहीं होगा। उन्होंने कहा है कि कुछ रूट्स पर प्राइवेट प्लेयर्स को ट्रेन चलाने की मंजूरी से रेलवे की सेवा में सुधार होगा और नए रोजगार के अवसर मुहैया होंगे।

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इसी के साथ हमें पीयूष गोयल के ऑफिस से किया गया ट्वीट मिला। 12 जुलाई, 2020 को किए गए ट्वीट में साफ लिखा है –


रेलवे का नही हो रहा है निजीकरण, सभी वर्तमान सेवाएं चलेंगी पहले की तरह। निजी भागीदारी से 109 रुट पर चलेंगी अतिरिक्त 151 अति आधुनिक ट्रेन, जिनसे बढ़ेगा रोजगार, मिलेगी आधुनिक तकनीक, बढ़ेगी सुविधा व सुरक्षा।

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ये निकला नतीजा 

 

रेलवे के निजीकरण का दावा पूरी तरह फर्जी साबित हुआ है। इसी के साथ पुणे स्टेशन पर प्लेटफॉर्म टिकट बढ़ाने का उद्देश्य कोरोना के कारण लोगों की भीड़ को कम करना है। इसका रेलवे के निजीकरण से कोई लेना-देना नहीं है।

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