फैक्ट चेक डेस्क. UPSC Jihad fact check: केंद्रीय लोक सेवा आयोग (UPSC) ने 4 अगस्त को सिविल सर्विसेज परीक्षा 2019 के परिणाम जारी किए। इसमें 829 कैंडिडेट्स सफल हुए। सफल कैंडिडेट्स की संख्या के अलावा एक और आंकड़ा बहुत चर्चा में रहा। वह था परीक्षा में सफल होने वाले मुस्लिम कैंडिडेट्स की संख्या के बढ़ने का आंकड़ा। पिछले साल यूपीएससी की सिविल सर्विसेज परीक्षा 28 मुस्लिम उम्मीदवारों ने पास की थी। 2019 परीक्षा के परिणामों में ये संख्या बढ़कर 42 हो गई है। इसे 40 फीसदी बढ़त बताया जा रहा है। मुस्लिम उम्मीदवारों की सफलता का आंकड़ा आने के बाद सोशल मीडिया पर एक नई बहस छिड़ गई है। इस बहस में ‘यूपीएससी जिहाद’ शब्द का खूब इस्तेमाल हो रहा है। बहस के तार जुड़े हैं ‘इस्लामिक स्टडीज’ नाम के एक विषय से। सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि इस्लामिक स्टडीज के चलते ही यूपीएससी में सफल होने वाले मुस्लिम उम्मीदवारों की संख्या बढ़ रही है। लिहाजा इस विषय को सिलेबस से हटाया जाना चाहिए।
फैक्ट चेक में आइए जानते हैं कि आखिर यूपीएससी जिहाद शब्द क्या है? क्या वाकई यूपीएससी में इस्लामिक स्टडीज जैसा कोई शब्द है?