Fact Check. कोरोना मरीजों की लाश से जुड़े सबसे बड़े झूठ का सच नहीं जानते होंगे आप

नई दिल्ली. कोरोना वायरस एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे में फैलता जाता है। जितने लोग संक्रमित के संपर्क में आएंगे ये उतने ही प्रसारित होता जाएगा। ऐसे में जो कोरोना के मरीज अस्पतालों में पहुंच रहे हैं उनका इलाज भी डॉक्टर और नर्से अलग से बनाए गए आइसोलेशन वार्ड में रखकर कर रहे हैं। कोरोना के मरीजों की मौत के बाद उन्हें प्लास्टिक के पैकेट में लपेटकर अंतिम संस्कार किया जा रहा है। इस वजह से लोगों में एक बात घर कर गई है कि लाश से भी वायरस फैल सकता है। आम जनता के मन में ये सवाल है कि कोरोना से मरने वाले व्यक्ति की डेड बॉडी भी संक्रमण फैला सकती है। फैक्ट चेकिंग में आइए जानते हैं कि सच्चाई क्या है? 

Asianet News Hindi | Published : Apr 7, 2020 11:09 AM IST / Updated: Apr 07 2020, 05:34 PM IST
110
Fact Check. कोरोना मरीजों की लाश से जुड़े सबसे बड़े झूठ का सच नहीं जानते होंगे आप
पूरी दुनिया में हजारों की तादाद में कोरोना के मरीजों की मौतें हुई हैं। इस बीमारी ने लाखों को संक्रमित किया है। चीन, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, भारत, पाकिस्तान, इटली, ईरान आदि देशों में कोरोना ने तबाही मचाई हुई है।
210
महामारी घोषित हो चुके इस वायरस से मरने वाले लोगों को पूरी सावधानी से दफनाया जा रहा है। प्लास्टिक में लिपटे शवों को देख लोगों का मानना है कि कोरोना के मरीज का शव भी दूसरों के लिए खतरनाक है।
310
क्या दावा किया जा रहा ? कोरोना के मरीज की डेड बॉडी (शव) भी COVID-19 प्रसारित करता है। शव के संपर्क में आने वाले लोग कोरोना पॉजिटिव हो सकते हैं।
410
सच्चाई क्या है? WHO की एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना मरीज की डेड बॉडी से वायरस नहीं फैलता। ये मिथ है। ऐसा कोई केस सामने नहीं आया कि कोरोना के मरीज की लाश छूने वाला संक्रमिता हुआ हो, क्योंकि वायरस परजीवी है तो मरीज के मरने पर खुद खत्म हो जाता है।
510
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, बुखार (जैसे इबोला, मारबर्ग) और हैजा के मामलों को छोड़कर, आमतौर पर मृत शरीर संक्रामक नहीं होते हैं। केवल महामारी इन्फ्लूएंजा वाले रोगियों के फेफड़े, यदि शव परीक्षा के दौरान अनुचित तरीके से रखा जाता है, तो संक्रामक हो सकता है। अन्यथा शव ऐसे रोग संचारित नहीं करते हैं।
610
यह एक आम मिथक है कि जिन व्यक्तियों की संक्रामक बीमारी से मृत्यु हो गई है, उनका अंतिम संस्कार किया जाना चाहिए, लेकिन यह सच नहीं है। 24 मार्च तक COVID -19 से मारे व्यक्तियों के शवों के संपर्क में आने से संक्रमित होने का कोई केस या सबूत सामने नहीं आया है।
710
हालांकि डब्ल्यूएचओ ने कहा कि इस बात का ध्यान रखा जाए कि शव से किसी भी तरह का कोई तरल पदार्थ न लीक हो रहा। वहीं शरीर को अंतिम संस्कार के लिए देने से पहले कीटाणुरहित करने की आवश्यकता नहीं है।
810
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, COVID -19 से मरने वाले लोगों को दफनाया जा सकता है या उनका अंतिम संस्कार किया जा सकता है। हालांकि, डब्ल्यूएचओ ने यह भी उल्लेख किया है कि जो लोग लगातार लाशों के संपर्क में हैं, वे तपेदिक, रक्तवाहक वायरस (जैसे हेपेटाइटिस बी और सी और एचआईवी) और पाचन संबंधी संक्रमण का शिकार हो सकते हैं।
910
कार्यकर्ता जो नियमित रूप से लाशों को संभालते हैं उन्हें क्षय रोग, रक्तवाहक विषाणु (जैसे हेपेटाइटिस बी और सी और एचआईवी) और जठरांत्र संबंधी संक्रमण (जैसे हैजा, हेपेटाइटिस, रोटावायरस दस्त, साल्मोनेलोसिस, टाइग्लोसिस और टाइफाइड / पैराफॉइड / पैराफॉइड) जैसे जान जोखिम में डालने वाली बीमारियां लग सकती हैं।
1010
ऐसे में कोरोना मरीजों के शव को आम लोगों से दूर रखा जाना ही सही है। हालांकि शव से संक्रमण की बात विश्व स्वास्थ्य संगठन ने खारिज की है लेकिन अन्य बीमारियों की आंशका के चलते ये सही बचाव है।
Share this Photo Gallery
click me!

Latest Videos