फूड डेस्क : आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी यानी बापू की 73वीं पुण्यतिथि (Mahatma Gandhi Punyatithi) है। 30 जनवरी 1948 के दिन नाथूराम गोडसे ने उनकी हत्या कर दी थी। उन्होंने अपना जीवन बेहद ही सादगीपूर्ण तरीके सी जिया। छोटे कद के दुबले पतले से गांधी जी सभी के प्रेरणास्रोत हैं। लोगों तो उपवास रखने का महत्व बताने वाले बापू (Father of the Nation) हफ्ते में एक दिन बिना कुछ खाएं रहते थे, उनका मनना था कि ऐसा करने से शरीर चुस्ता बना रहता है और दिमाग को भी शांति मिलती है। आज उनकी पुण्यतिथि पर हम आपको बताते हैं कि उन्हें खाने में क्या पसंद था और वह ऐसा क्या खाते थे जिससे उनके शरीर में हमेशा एनर्जी बनी रहती थी?
महात्मा गांधी के दिन की शुरुआत गुनगुने पानी में नींबू का रस और शहद डालकर पीने से होती थी। वह शाम को भी इसी तरह नींबू पानी पीते थे।
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गांधी जी शाकाहारी थे और अक्सर हरी पत्तेदार सब्जियां खाया करते थे। गांधी जी जब लंदन में थे तो वो Vegetarian Society का हिस्सा बन गए थे। इतना ही नहीं बाद में गाय का दूध और इससे बनने वाली बाकी चीजों का सेवन भी बंद कर वो Vegan बन गए थे।
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वीगेन बनने के बाद उन्होंने बकरी का दूध पीना शुरू किया। वैसे तो उनका मानना था कि इंसान को अपनी मां के दूध के अलावा किसी भी दूसरे दूध को पीने का कोई अधिकार नहीं है, पर सेहत के चलते जब उन्हें डॉक्टरों ने दूध पीने की सलाह दी तो उन्होंने बकरी का दूध पीना शुरू किया था। इसके साथ ही वो अपने लिए खुद बादाम का दूध बनाया करते थे।
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गांधी जी दिन में एक बार अंकुरित गेंहू जरूर खाते थे। साथ ही दोपहर के खाने में वे गेंहू और चने की मिक्स रोटी के साथ में पीली दाल खाना पसंद करते थे।
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गांधी जी कभी भी दाल में बिना घी डाले इसे नहीं खाते थे। 1908 में जब महात्मा गांधी साउथ अफ्रीका की जेल में थे, तो भारतीय कैदियों को खाने में घी नहीं दिया जाता था। तब महात्मा गांधी ने पहले इसका विरोध किया लेकिन फिर उन्हें लगा कि घी उनके लिए जरूरी नहीं है।
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महात्मा गांधी ने वनस्पती घी का भी विरोध किया था क्योंकि उनका मानना था कि इसे बनाने के लिए Chemicals का इस्तेमाल किया जाता है।
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महात्मा गांधी के मीठे में जलेबी और हलवा बहुत पसंद था, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने मीठा खाना कम कर दिया और चीनी की जगह खाने के बाद वह शहद लेने लगे थे।
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फलों में अमरूद और आम उन्हें बहुत पसंद था। नपी-तुली और Organic Diet को हम आधुनिक डाइट का नाम देते हैं लेकिन गांधी जी बहुत पहले से इसे अपनाते थे।
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स्वतन्त्रता संग्राम के दौरान गांधीजी ने करीब 17 उपवास किए थे जिनमें से सबसे लंबा उपवास 21 दिनों तक चला था। उनका मानना था कि उपवास करना सेहत के लिए भी काफी अच्छा होता है।
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गांधीजी ने स्वास्थ्य और खान-पान पर कई किताबें भी लिखी हैं, जैसे ‘डाइट एंड डाइट रिफॉर्म्स’ (diet and diet reforms), ‘द मॉरल बेसिस ऑफ वेजिटेरियनिज्म’ (The moral basis of vegetarianism) और ‘की टू हैल्थ'(Key to Health) उनकी प्रमुख किताबें है।