यहां ठंड में चाव से खाई जाती है लाल चींटी की चटनी, पत्थर पर अदरक-लहसुन डाल आधे घंटे पीसती हैं महिलाएं

Published : Dec 13, 2020, 12:46 PM IST

फूड डेस्क: आजतक आपने कई तरफ की चटनी खाई होगी। भारत में तो लगभग हर घर में चटनी बनाई और खाई जाती है। इसकी कई वेरायटी होती है। किसी को धनिया की चटनी पसंद है तो किसी को मिर्च की। आम की चटनी भी शौक से खाई जाती है। चटनी में भी कई तरह के स्वाद आपको मिल जाएंगे। आपको खट्टी, मीठी और तीखी चटनी के ऑप्शन मिल जाएंगे। लेकिन क्या आपने कभी लाल चींटी की चटनी खाई है? जी हां, वही लाल चींटी, जिसके एक बाईट से तेज दर्द होता है। जो अगर आपको काट ले तो अगले कुछ घंटे बेहद दर्दभरे होते हैं। इसी लाल चींटी की चटनी को भारत के एक गांव में चाव से खाया जाता है। आज हम आपको दिखाने जा रहे हैं कैसे जंगल से लोग इन लाल चींटियों को पकड़कर लाते हैं और फिर इन्हें पत्थर पर पीसकर चटनी तैयार करते हैं... 

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यहां ठंड में चाव से खाई जाती है लाल चींटी की चटनी, पत्थर पर अदरक-लहसुन डाल आधे घंटे पीसती हैं महिलाएं

झारखण्ड राज्य के जमशेदपुर से 70 किलोमीटर दूर चाकुलिया के मटकुरवा गांव में आदिवासी लोगों के बीच लाल चींटी की ये चटनी काफी मशहूर है। वहां के लोग इसे बड़े चाव से खाते हैं।  

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लोगों का कहना है कि ये चटनी काफी लजीज होती है। साथ ही इसे खाने से ठंड के मौसम में कई बीमारियों से बचा जा सकता है। ये चटनी सेहत के लिए काफी फायदेमंद है। 

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आदिवासी समाज के ये लोग पहले करंज और साल के पेड़ में बने इन चीटियों के घर ढूंढते हैं। इसके बाद इन चीटियों को हांडी में भर लिया जाता है। 

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घर पर लाने के बाद महिलायें इन्हें पत्थर पर पीसती हैं। सिलबट्टे पर पीसते हुए इन चीटियों में नमक, मिर्च, अदरक, लहसुन को भी मिलाया जाता है। 

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इन चीटियों को मसाले के साथ आधे घंटे तक पीसा जाता है। तब जाकर इसका असली टेस्ट निकल कर आता है। इसे बच्चों के साथ बड़े तक चाव से खाते हैं। 

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गांव वालों का कहना है कि ये चीटियां साल में एक बार ठंड के ही मौसम में पेड़ों पर घर बनाती हैं। इन चीटियों को बेहद सावधानी से पकड़ा जाता है ताकि वो काट ना पाए। 
 

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इस चटनी को लोकल लोग कुरकु कहते हैं। इसे खाने से ठंड में कई बीमारियों से  गांव वाले बच जाते हैं। मसाले डालने से इसका स्वाद लाख गुना बढ़ जाता है। 
 

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