नौकरी की उम्मीद में 3 महीने पहले बहन के घर आई थी युवती, लॉकडाउन में कोई जॉब नहीं मिली..तो किया ऐसा

जींद, हरियाणा. कोरोना के चलते लगाए गए लॉकडाउन ने काम-धंधे पर बुरा असर डाला है। करीब 6 महीने से लॉकडाउन के चलते कइयों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ गई, वहीं नई नौकरी भी नहीं मिल पा रहीं। इसी निराशा में यहां 17 साल की युवती ने सुसाइड के इरादे से रानी तालाब में छलांग मार दी। गनीमत रही कि वहां मौजूद लोगों की नजर उस पर पड़ गई। उसे फौरन तालाब से निकाल लिया गया। लॉकडाउन में नौकरियों को लेकर एक संकट खड़ा हो गया है। लेकिन कोरोना के चलते दुनिया में आ रहे बदलाव को देखते हुए आत्मनिर्भर होने पर जोर दिया जा रहा है। खुद का कुछ काम करके अपने लिए रोजगार के नए रास्ते खोले जा सकते हैं। आगे पढ़िए इसी घटना के बारे में...

Asianet News Hindi | Published : Aug 19, 2020 5:22 AM IST

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नौकरी की उम्मीद में 3 महीने पहले बहन के घर आई थी युवती, लॉकडाउन में कोई जॉब नहीं मिली..तो किया ऐसा

यह तस्वीर चौंकाती है। बताते हैं कि युवती नौकरी की तलाश में करीब 3 महीने पहले संगरूर से जींद के बूढ़ाबाबा बस्ती में रहने वाली अपनी बहन के यहां आई थी। मंगलवार को भी वो काम की तलाश में घर से निकली थी। लेकिन सुसाइड करने जा पहुंची। लेकिन सुसाइड किसी समस्या का समाधान नहीं है। आइए अगली स्लाइड्स में देखते हैं कैसे कम-पढ़े लिखे किसानों को कोरोना में कमाई का जरिया ढूंढ़ा...

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खूंटी/बीजापुर. गरीब किसानों की सफलता से जुड़ीं ये कहानियां सबक देती हैं कि अगर आप कुछ करना चाहते हैं, तो कुछ भी असंभव नहीं है। कोरोना काल में लोगों के लिए रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। लेकिन झारखंड और छत्तीसगढ़ के रहने वाले इन किसानों ने आपदा में भी मुनाफा कमाने का साधन ढूढ़ निकाला। दोनों जगहों के किसान खेत में लेमनग्रास उगाकर उसका ऑयल निकाकर उसे बेचकर मुनाफा कमा रहे हैं। बता दें कि लेमनग्रास से सैनिटाइजर भी बनता है। लेमनग्रास का ऑयल 10 हजार रुपए प्रति लीटर तक बाजार में बिकता है। पहला मामला झारखंड के खूंटी जिले के नक्सल प्रभावित मुरहू ब्लॉक के एक छोटे गांव कोंजगोड़ से जुड़ा है। यहां दो किसान भाई चाड़ा और सनिका पाहन रहते हैं। इनके पास करीब साढ़े तीन एकड़ जमीन है। लेकिन यह जमीन पथरीली और बंजर है। इस पर इन्होंने लेमनग्रास उगाई और अब देसी जुगाड़ से उसका ऑयल निकालकर बेच रहे हैं। अनुमानत: ये सालभर में तीन लाख रुपए तक का ऑयल बेच देते हैं।

देसी तरीके से निकालते हैं ऑयल...
चाड़ा और सनिका के पास लेमनग्रास से ऑयल निकालने कोई आधुनिक टेक्नोलॉजी वाली मशीन नहीं है। ये देसी तरीके से ऑयल निकालते हैं। इस तरीके से गांवों में महुआ से शराब निकाली जाती है। आगे पढ़ें इन्हीं किसानों की कहानी...
 

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तस्वीर में देखिए कैसे इन भाइयों ने देसी डिस्टिलेशन यूनिट तैयार की है। इस तरीके से ये आसानी से लेमनग्रास से ऑयल निकाल पा रहे हैं। इससे इनका प्रोडक्शन बढ़ गया है। दूसरे लोग भी इसी तरकीब को आजमाने लगे हैं। आगे पढ़ें इन्हीं भाइयों की कहानी...

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माना जा रहा है कि ये दोनों भाई 20 पौधों से करीब 500 एमएल लेमन ऑयल निकाल लेते हैं। ये किसान मानते हैं कि इससे उन्हें मुनाफा हो रहा है। आगे पढ़ें बीजापुर के किसानों की तरकीब...

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यह मामला छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के भैरमगढ़ ब्लॉक के गांव गुदमा से जुड़ा है। यहां के किसान भवानीपाल शाह ने लेमनग्रास से ऑयल निकालने देसी जुगाड़ से यह मशीन तैयार की है। वे रायपुर कृषि विज्ञान केंद्र से सलाह लेकर यह काम कर रहे हैं। इसमें उन्होंने कुकर, पाइप और ड्रम का यूज किया है। आगे पढ़िए लेमनग्रास के फायदे...

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लेमनग्रास एक औषधीय पौधा है। इससे निकले ऑयल का इस्तेमाल मेडिसिन, के अलावा कॉस्मेटिक और डिटरजेंट बनाने में होता है। इन दिनों इसका सैनिटाइजर बनाया जा रहा है।

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