हरियाणा : वो पांच विधानसभा सीटें, जहां बीजेपी के दिग्गजों की है परीक्षा

चंडीगढ़. हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 में बीजेपी "75 पार" के मिशन पर है. बीजेपी के इस मिशन को पूरा करने का जिम्मा तमाम नए चेहरों पर है। इन चेहरों में तमाम सेलिब्रिटी भी हैं। मगर विधानसभा चुनाव में पार्टी का ये मिशन तब पूरा होगा जब पार्टी के तमाम मौजूदा विधायक, और दिग्गज नेता अपनी सीटों को बचाने में कामयाब होंगे।

Asianet News Hindi | Published : Oct 13, 2019 6:42 AM IST / Updated: Oct 13 2019, 12:23 PM IST

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हरियाणा : वो पांच विधानसभा सीटें, जहां बीजेपी के दिग्गजों की है परीक्षा
हरियाणा की राजनीतिक जंग में बीजेपी की स्टेट यूनिट के कई कद्दावर उम्मीदवार हैं लेकिन इनमें पांच उम्मीदवारों का रसूख बहुत बड़ा है। इनके चुनाव पर न सिर्फ राज्य बल्कि देशभर की निगाहें टिकी हैं। इनपर अपने चुनाव के साथ राज्य में पार्टी के प्रदर्शन का भी दारोमदार है। यही वजह है कि विपक्ष हरसंभव घेराबंदी करने की कोशिश में है। बीजेपी के इन पांचों नेताओं में कुछ विपक्ष के चक्रव्यूह को भेदने में सफल नजर आ रहे हैं जबकि कुछ के सामने मुश्किलें भी दिख रही हैं। करनाल : दूसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं सीएम खट्टर- महाभारत काल में राजा कर्ण की धरती रही करनाल विधानसभा सीट पर राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर काबिज हैं। यहां से इस बार एक लाख पार का नारा देकर खट्टर दूसरी बार किस्तम आजमा रहे हैं। खट्टर को घेरने के लिए जेजेपी ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव को मैदान में उतारा है तो कांग्रेस ने त्रिलोचन सिंह पर दांव खेला है। हालांकि मौजूदा माहौल में खट्टर के हौसले बुलंद नजर आ रहे हैं। करनाल की जनता में जोश भरते हुए मुख्यमंत्री ने कहा भी था, "हम अबकी बार एक लाख पार का नारा ऐसे ही नहीं दे रहे हैं। इसके पीछे हमारे ठोस आधार हैं।" दरअसल, पिछली बार कांग्रेस और इनेलो के जो मजबूत प्रत्याशी थे वो अब बीजेपी में शामिल हो चुके हैं और इस चुनाव में भाजपा का कमल खिलाने के लिए पूरी ताकत के साथ लगे हुए हैं। 2014 विधानसभा चुनाव में खट्टर ने 82 हजार 485 वोट हासिल किया था। दूसरे नंबर पर निर्दलीय जय प्रकाश गुप्ता थे जिन्हें 18 हजार 712 वोट मिले और उन्हें 63 हजार 773 वोटों से हार का सामना करना पड़ा था। करनाल विधानसभा सीट पर तीसरे नंबर पर इनेलो के मनोज वाधवा और चौथे नंबर पर कांग्रेस के सुरेंद्र नरवाल रहे थे।
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टोहना: जाटलैंड में दांव पर है बीजेपी अध्यक्ष की सीट- हरियाणा के फतेहाबाद जिले की टोहाना विधानसभा सीट हाई प्रोफाइल मानी जाती है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला यहां से विधायक हैं और दूसरी बार किस्तम आजमाने के लिए मैदाना में उतरे हैं। हालांकि लंबे समय तक इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा है। ऐसे में पार्टी ने अपने कद्दावर और पूर्व विधायक परमवीर सिंह पर एक बार फिर दांव लगाया है तो जेजेपी से देवेंद्र बबली ताल ठोक रहे हैं। वहीं, इनेलो ने राजपाल सैनी को उतारकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है। टोहना विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस का बोलबाला रहा है। यहां 1967 से अब तक हुए 13 चुनावों में सात बार कांग्रेस के विधायक ने चुनाव जीता है। बीजेपी के हालात इस सीट पर कभी भी अच्छे नहीं थे। 2014 से पहले तक हुए चुनाव में बीजेपी कभी दूसरे नंबर पर भी नहीं आई थी। लेकिन जाटलैंड की इस सीट पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और जाट नेता सुभाष बराला ने इतिहास रचा। उनकी जीत के साथ 2014 में यहां पर कमाल का फूल खिला और बराला एक बार फिर मैदान में हैं। कांग्रेस से 2004 और 2009 में चुनाव जीतने वाले परमवीर सिंह उतरे हैं। ऐसे में भाजपा को कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर दिख रही है। अब देखना होगा कि सुभाष बराला यहां दोबारा कमल खिला पाते हैं या गढ़ में कांग्रेस की फिर वापसी होगी।
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अंबाला: बीजेपी का सुरक्षित गढ़- भारतीय जनसंघ का जिन चुनिंदा सीटों पर प्रभाव रहा है उनमें से अंबाला कैंट भी एक है। यहां पंजाबी वोटरों का दबदबा रहा है। यही वजह है कि सुषमा स्वराज से लेकर अनिल विज तक यहां बीजेपी का कमल खिलाने में कामयाब रहे हैं। 1996 से अनिल विज लगातार अंबाला कैंट सीट से विधायक बनते आ रहे हैं और बीजेपी ने एक बार फिर उन्हीं पर दांव लगाया है। जबकि कांग्रेस ने वेणु सिंगला अग्रवाल को उतारा है। दिलचस्प यह है कि अंबाला कैंट से जेजेपी के उम्मीदवार गुरपाल सिंह ने बीजेपी में शामिल होकर अनिल विज को समर्थन देते हुए अपना नामांकन पत्र वापस ले लिया था, जिससे विपक्ष को बड़ा झटका लगा था। वहीं, दूसरी ओर इनेलो प्रत्याशी चौधरी निर्मल सिंह और अपनी बेटी चित्रा सरवारा के समर्थन का ऐलान कर दिया है। अंबाला कैंट की लड़ाई त्रिकोणीय बनती दिख रही है।
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रोहतक: करिश्मा दोहराने की चुनौती 2014 हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का मजबूत दुर्ग माने जाने वाले रोहतक में बीजेपी महज एक सीट जीत पाई थी। वह सीट रोहतक विधानसभा सीट रही, जहां मनीष ग्रोवर कमल खिलाने में सफल रहे हैं। बीजेपी ने एक बार फिर उन्हें मैदान में उतारा है। जबकि ग्रोवर को घेरने के लिए कांग्रेस ने बेबी बन्ना पर दांव खेला है। जबकि जेजेपी ने राजेंद्र सैनी और इनेलो ने पुनीत मायना को उतारा है। यहां तीन पार्टियों ने पंजाबी समुदाय के उम्मीदवार पर पर भरोसा जताया है। बता दें कि 2014 के विधानसभा चुनाव में रोहतक सीट पर बीजेपी के मनीष ग्रोवर 57,718 वोट हासिल कर विधायक चुने गए थे। दूसरे नंबर पर कांग्रेस के भारत भूषण बतरा थे, जिन्हें 46,586 वोट मिले थे और तीसरे नंबर रहे इनेलो के राज कुमार शर्मा को महज 3954 वोट मिले थे। मनीष ग्रोवर एक बार फिर कमल खिलाने उतरे हैं, लेकिन उनकी राह में विपक्ष ने कई काटें बिछा रखे हैं।
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नारनौंद: मोदी लहर में भी यहां बीजेपी को मिले थे कम वोट- हरियाणा सरकार में मुख्यमंत्री के बाद सबसे पावरफुल नेताओं में कैप्टन अभिमन्यु का नाम गिना जाता है। वह हिसार के नारनौंद विधानसभा सीट से एक बार फिर मैदान में उतरे हैं। इस इलाके में जाटों का अच्छा खासा प्रभाव है, जिसके चलते पार्टी ने उन्हें उतारकर जाट कार्ड खेला है तो कांग्रेस ने बलजीत सिहाग पर दांव लगाया है। जबकि जेजेपी ने रामकुमार गौतम को उतारकर बीजेपी की मुसीबत बढ़ा दी है, क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनाव में जेजेपी ने नारनौंद में बीजेपी से अधिक वोट लिए थे। 2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी से उतरे कैप्टन अभिमन्यू को 53 770 , इनेलो के राज सिंह मोर को 48 009, निर्दलीय प्रत्याशी रहे राम कुमार गौतम को 34756 और कांग्रेस के राजबीर संधू 11213 वोट मिले थे।
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