कैथल, हरियाणा. यह हैं 23 साल की प्रवीण कौर। इन्हें हरियाणा की सबसे कम उम्र की सरपंच होने का गौरव प्राप्त है। इंजीनियरिंग के बाद अच्छी-खासी जॉब छोड़कर ये गांववालों के कहने पर सरपंच का इलेक्शन लड़ी थीं। आज इनका गांव मिसाल बन गया है। प्रवीण कौर जब 21 साल की थीं, तब ग्राम पंचायत ककराला-कुचिया की सरपंच बनी थीं। इन दो गांवों को मिलाकर बनी पंचायत में करीब 1200 लोग निवास करते हैं। अगर कभी इस पंचायत में आने का मौका मिले, तो देखें कि किस तरह इस युवा सरपंच के प्रयासों से यह गांव शहरों को मात देने लगा है। प्रवीण कौर के कार्यशैली को लेकर लोग कहते हैं कि नेता हों तो ऐसे। प्रधानमंत्री मोदी इन्हें सम्मानित कर चुके हैं। इनका गांव सुविधाओं के मायने में मेट्रो को भी पीछे छोड़ दे। गली-गली में CCTV कैमरे हैं। सोलर लाइट्स से पूरा गांव रोशन है। जगह-जगह वॉटर कूलर लगे हैं। गांव में लाइब्रेरी है। स्कूल इतना अच्छा कि बच्चे हिंदी के अलावा संस्कृत और अंग्रेजी भी फर्राट बोलने लगे हैं। आइए जानते हैं इस युवा इंजीनियर सरपंच की कहानी...