शानदार जॉब छोड़कर 21 साल में पॉलिटिक्स में रखा कदम, इनकी वर्किंग स्टाइल से मोदी भी हुए प्रभावित

कैथल, हरियाणा.  यह हैं 23 साल की प्रवीण कौर। इन्हें हरियाणा की सबसे कम उम्र की सरपंच होने का गौरव प्राप्त है। इंजीनियरिंग के बाद अच्छी-खासी जॉब छोड़कर ये गांववालों के कहने पर सरपंच का इलेक्शन लड़ी थीं। आज इनका गांव मिसाल बन गया है। प्रवीण कौर जब 21 साल की थीं, तब ग्राम पंचायत ककराला-कुचिया की सरपंच बनी थीं। इन दो गांवों को मिलाकर बनी पंचायत में करीब 1200 लोग निवास करते हैं। अगर कभी इस पंचायत में आने का मौका मिले, तो देखें कि किस तरह इस युवा सरपंच के प्रयासों से यह गांव शहरों को मात देने लगा है। प्रवीण कौर के कार्यशैली को लेकर लोग कहते हैं कि नेता हों तो ऐसे। प्रधानमंत्री मोदी इन्हें सम्मानित कर चुके हैं। इनका गांव सुविधाओं के मायने में मेट्रो को भी पीछे छोड़ दे। गली-गली में CCTV कैमरे हैं। सोलर लाइट्स से पूरा गांव रोशन है। जगह-जगह वॉटर कूलर लगे हैं। गांव में लाइब्रेरी है। स्कूल इतना अच्छा कि बच्चे हिंदी के अलावा संस्कृत और अंग्रेजी भी फर्राट बोलने लगे हैं। आइए जानते हैं इस युवा इंजीनियर सरपंच की कहानी...

Asianet News Hindi | Published : Sep 10, 2020 4:26 AM IST
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शानदार जॉब छोड़कर 21 साल में पॉलिटिक्स में रखा कदम,  इनकी वर्किंग स्टाइल से मोदी भी हुए प्रभावित

प्रवीण कौर का सपना था कि वे इंजीनियरिंग करके बढ़िया जॉब करें। किसी बड़े शहर में रहें। लेकिन जब भी अपने गांव की हालत देखतीं, तो उन्हें अच्च्छा नहीं लगता। वे अकसर गांव में सुधारों को लेकर सक्रिय रहती थीं। 2016 के पंचायत इलेक्शन में गांववाले चाहते थे कि उनका सरपंच पढ़ा-लिखा हो। सबने एक राय होकर प्रवीण कौर का नाम आगे बढ़ा दिया। पहले तो प्रवीण कौर ने इलेक्शन लड़ने में अनिच्छा जाहिर की, लेकिन फिर जॉब छोड़कर गांव आ गईं और सरपंच बनीं।

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प्रवीण कौर चाहती थीं कि उनके गांव के बच्चे अच्छी-पढ़ाई लिखाई करें, इसलिए उन्हें पहले प्राइमरी स्कूल खुलवाई और अब गांव में 12वीं तक पढ़ाई की सुविधा है।
 

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प्रवीण कौर ने कुरुक्षेण यूनिवर्सिटी से बीटेक किया है। प्रवीण कौर ने अपने गांव में घूंघट प्रथा का विरोध किया। लोगों ने उनकी बात मानी। आज यहां की लड़कियां आजादी से जीना सीख गई हैं।

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बता दें कि गुजरात के गांधीनगर में 8 मार्च, 2017 को हुए स्वच्छ शक्ति कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने प्रवीण कौर को सम्मानित किया था। यह सम्मान उन्हें गांव को खुले में शौच से मुक्त करने के प्रयासों के लिए दिया गया था।

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प्रवीण कौर बताती हैं कि जब गांव के लोग पापा के पास मुझे सरपंच का इलेक्शन लड़ाने का प्रस्ताव लेकर आए, तब मैं चिंतित  थी। सोचती थी कि क्या इस उम्र में मैं इतनी बड़ी जिम्मेदारी उठा पाऊंगी। लेकिन सबने सपोर्ट किया।

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प्रवीण कौर बताती हैं कि पहले गांव की हालत अच्छी नहीं थीं। महिलाएं खुद को असुरक्षित महसूस करती थीं। इसलिए हमने पूरे गांव में सीसीटीवी लगवा दिए। लड़कियों को पढ़ने के लिए प्रेरित किया।

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प्रवीण कौर आज युवाओं का रोल मॉडल बनकर उभरी हैं। वे पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद आदि को भी प्रोत्साहित कर रही हैं।

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हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर इस युवा सरपंच के कामों से बेहद प्रभावित हैं।

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