प्रवीण कौर का सपना था कि वे इंजीनियरिंग करके बढ़िया जॉब करें। किसी बड़े शहर में रहें। लेकिन जब भी अपने गांव की हालत देखतीं, तो उन्हें अच्च्छा नहीं लगता। वे अकसर गांव में सुधारों को लेकर सक्रिय रहती थीं। 2016 के पंचायत इलेक्शन में गांववाले चाहते थे कि उनका सरपंच पढ़ा-लिखा हो। सबने एक राय होकर प्रवीण कौर का नाम आगे बढ़ा दिया। पहले तो प्रवीण कौर ने इलेक्शन लड़ने में अनिच्छा जाहिर की, लेकिन फिर जॉब छोड़कर गांव आ गईं और सरपंच बनीं।