लॉक डाउन के बाद निराश होकर पैदल घर लौट रहे थे मजदूर, मौत ने यहां भी पीछा नहीं छोड़ा

गुरुग्राम, हरियाणा. हरियाणा के छठें सबसे बड़े शहर गुरुग्राम में लॉक डाउन के बाद रोजी-रोटी छिनने से चिंतित हजारों मजदूर मीलों दूर अपने गांव पैदल ही लौट पड़े हैं। इसी दौरान दो अलग-अलग हादसों में 8 मजदूरों की मौत हो गई। एक ट्रक ने 8 लोगों को कुचल दिया। इसमें 5 की मौत हो गई, जबकि 3 गंभीर रूप से घायल हो गए। वहीं, गुरुग्राम के ही बादशाहपुर में बिजली के टॉवर का गड्ढा खोदते वक्त तीन मजदूरों की दबने से मौत हो गई। इनके परिजन लॉक डाउन के बाद से चिंतित थे। वे उनकी वापसी का इंतजार कर रहे थे। उल्लेखनीय है कि गुरुग्राम में यूपी, बिहार और राजस्थान से बड़ी संख्या में मजदूर काम करते हैं। लॉक डाउन के बाद इनकी रोजी-रोटी पर संकट आकर खड़ा हो गया। इससे घबराकर हजारों लोग वाहन न मिलने से पैदल ही अपने गांवों की ओर लौट पड़े। हालांकि, अब सरकार ने इन्हें बॉर्डर पर ही रोककर रहने-खाने और चेकअप का इंतजाम किया है, लेकिन अभी भी बड़ी संख्या में मजदूर पैदल अपने-अपने राज्यों के बॉर्डर की ओर जाते देखे जा सकते हैं। इनमें से ज्यादातर भूखे-प्यासे सफर करते सामने आए। 

Asianet News Hindi | Published : Mar 30, 2020 5:29 AM IST
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लॉक डाउन के बाद निराश होकर पैदल घर लौट रहे थे मजदूर, मौत ने यहां भी पीछा नहीं छोड़ा
गुरुग्राम-जयपुर NH पर पचगांवा चौक के पास सैकड़ों लोग पैदल अपने घरों की ओर लौट रहे थे। तभी देर रात एक ट्रक ने 8 लोगों को अपनी चपेट में ले लिया। हादसे में 4 पुरुष व 1 बच्चे की मौत हो गई। हादसे की सूचना मिलने पर बिलासपुर थाना पुलिस मौके पर पहुंची और घायलों को हॉस्पिटल पहुंचाया। वहीं, गुरुग्राम के ही बादशाहपुर थाना क्षेत्र के सकतपुर गांव में बिजली के टॉवर के लिए गड्ढा खोदते वक्त तीन मजदूरों की मौत हो गई। ये सभी यूपी के अमरोहा जिले के रहने वाले थे। ये 24 मार्च को ही अपने घर से गुरुग्राम आए थे। लॉक डाउन के बाद उनके परिजनों को उनकी चिंता हो रही थी। वे भी जल्द घर वापसी चाहते थे, लेकिन इससे पहले ही हादसे का शिकार हो गए।(आगे देखें पिछले कुछ दिनों की तस्वीरें..ये लोग पैदल ही अपने गांव की ओर लौटते देखे गए)
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ऐसी तस्वीरें देशभर में देखी गईं। काम-धंधा बंद होने से पूरा परिवार पैदल ही घर को निकल पड़ा।
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लॉक डाउन के कारण परिवहन सुविधा बंद होने से मजदूरों को पैदल ही घर जाते देखा गया।
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मजदूर अपने सिर पर बची-खुची गृहस्थी का सामान ढोकर जाते दिखे।
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कई जगह इन गरीब मजदूरों को स्वयंसेवी संगठनों ने खाना खिलाया।
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ऐसी भीड़ देश के हर नेशनल हाइवे पर दिखाई दी।
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दरअसल, इन मजदूरों को लेकर शुरुआत में सरकार ने कोई ठोस निर्णय नहीं लिया था। इस वजह से ये घबराकर अपने घरों की ओर लौट पड़े।
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सूनी सड़कों पर पैदल घर ओर जाता एक दम्पती।
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ये मजदूर कुछ किलोमीटर दूर नहीं, सैकड़ों मील ऐसे ही पैदल चलते रहे।
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कई मजदूरों को पास खाने को पैसे तक नहीं थे। इसलिए भी उन्हें अपने घर पहुंचने की जल्दबाजी थी।
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सिर पर बोझ उठाए अपने घरों की ओर जातीं इन महिलाओं को कोरोना से ज्यादा भूखों मरने का डर सता रहा था।
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इस दौरान कई जगह मजदूरो के साथ पुलिसवालों ने बुरा बर्ताव किया, तो कुछ जगह उन्हें खाने-पीने काे भी मिला।
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लॉक डाउन के कारण हजारों मजदूर बेरोजगार हो गए हैं।
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सबसे ज्यादा दिक्कत दिहाड़ी मजदूरों को हुई, जिनके पास खाने को पैसे तक नहीं थे।
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हालांकि अब हर राज्य की सरकार ने मजदूरों को रहने-खाने के इंतजाम का ऐलान किया है।
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