5 पोते-पोतियों के दादा की बॉडी देख शरमा जाएंगे सलमान भाई, बिना डायट के सिक्योरिटी गार्ड ने बनाई ऐसी बॉडी

हेल्थ डेस्क: बॉडी बनाने के लिए आपने कई लोगों को दिन रात एक्सरसाइज करते और प्रॉपर डायट लेते देखा होगा। लोग बॉडी बनाने के लोग काफी महंगे प्रोटीन पाउडर लेते हैं। लेकिन कई बार कुछ ऐसे लोग सामने आते हैं जो उन सभी को प्रेरणा दे जाते हैं जो अपनी बॉडी बनाने में पैसे खर्च करने में असमर्थ होते हैं। सोशल मीडिया पर फिलहाल दमदार फिटनेस वाले एक दादाजी की तस्वीर वायरल हो रही है जो पांच पोते-पोतियों के दादा हैं।  72 साल के ए. अरोकियास्वामी (A. Arokiasamy) बुजुर्गों के साथ-साथ नौजवानों के लिए भी एक मिसाल है! आइए जानते हैं उनकी फिटनेस और  वर्कआउट, हेल्थी रहने के सीक्रेट्स- 
 

Asianet News Hindi | Published : Mar 31, 2021 6:49 AM IST

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5 पोते-पोतियों के दादा की बॉडी देख शरमा जाएंगे सलमान भाई, बिना डायट के सिक्योरिटी गार्ड ने बनाई ऐसी बॉडी

बढ़ती उम्र के साथ शरीर भी बूढ़ा होने लगता है। कमर, घुटनों और जोड़ों का दर्द इंसान को कसरत के नाम पर जॉगिंग और योग तक सीमित कर देता है। लेकिन ए. अरोकियास्वामी एक मलेशियाई बॉडी बिल्डर हैं, जो उम्र का 70वां पड़ाव पार करने के बाद भी एक चैम्पियन की तरह रोजाना कसरत करते हैं। दरअसल, उनका मानना है कि वर्कआउट, हेल्थी रहने और कोरोना वायरस से बचाव का एक अच्छा तरीका है।

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वो बॉडी बिल्डिंग के लिए इतने मशहूर हुए कि उन्होंने मिस्टर यूनिवर्स के कई एडिशन्स में मलेशिया का प्रतिनिधित्व किया है। 1981 में फिलीपींस के दक्षिण-पूर्व एशियाई खेलों में गोल्ड मेडल जीता। आपको जानकर हैरानी होगी वह 7 बच्चों के पिता और 5 बच्चों के दादा हैं। आज लोग उनकी फिटनेस और बॉडी देख दंग रह जाते हैं।
 

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वो हॉलीवुड फिल्म स्टार और पूर्व मिस्टर यूनिवर्स आर्नोल्ड श्वार्जनेगर को अपना हीरो मानते हैं। उन्होंने बताया कि वेटलिफ्टिंग और कसरत उम्र के बढ़ने की रफ्तार को धीमा करने के साथ आपको स्वस्थ रखने में भी मददगार रहता है। उनका मानना है कि वेटिलिफ्टिंग के जरिए खुद को फिट रखकर हम कोरोना वायरस जैसी घातक बीमारी का मुकाबला कर सकते हैं।

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अरोकियास्वामी का बचपन बड़ी कठिनाईयों में गुजरा था। दरअसल, जब वह 11 साल के थे तो उन्हें अपने गरीब परिवार का हाथ बंटाने के लिए अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी। बाद में उन्होंने हॉकी, बैडमिंटन और फुटबॉल जैसे विभिन्न खेलों में किस्मत आजमाई। लेकिन कहीं बात नहीं बनी। हालांकि, जब वह आग के लिए लकड़ियां काटते तो उन्हें एहसास हुआ कि उन्हें बॉडी बिल्डिंग में जाना चाहिए। इसके बाद उन्होंने अपने घर के करीब एक जिम में जाकर खुद पर काम शुरू किया।
 

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अरोकियास्वामी को साल 1968 में अपनी पहली सफलता मिली थी। उन्होंने अपने गांव पेराक में एक प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता और कई वर्षों तक मलेशिया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा में रहे। हालांकि, भले ही वो एक सफल एथलीट रहे। लेकिन तब भी उन्हें एक स्कूल में माली की नौकरी करनी पड़ी। फिलहाल, वो एक सिक्योरिटी गार्ड के तौर पर काम करते हैं।

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उनका मानना है कि कसरत के साथ-साथ स्वस्थ रहने के लिए अच्छी डाइट भी जरूरी है। वो कहते हैं, ‘मैं काफी सादा जीवन जीता हूं। नपा-तुला खाने की कोशिश करता हूं। और हां, मैं अपनी सब्जियां खुद उगाता हूं। साथ ही, चीनी और जंक फूड के अलावा ड्रग्स और स्टेरॉयड से भी काफी दूरी बनाकर रखता हूं।

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अपनी जीत के बावजूद उन्हें कुछ पछतावे भी हैं। जैसे वह अपने हीरो अर्नोल्ड से अबतक नहीं मिल सके हैं। और ना ही, पांच कोशिशों के बाद भी मिस्टर यूनिवर्स टूर्नामेंट के फाइनल राउंड में जगह बना पाए थे।

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