सहायक महिला पुलिसकर्मियों ने रोते हुए कहा-यह कैसा राज है, जहां नक्सलियों के लिए घर मिलता है और हम वर्दी वाले बेघर हैं। पता नहीं हम कैसे अपने बच्चों को पालेंगे। बच्चे बिस्किट दिलाने की जिद करते हैं, लेकिन हम कहां से दिलादें, क्योंकि हमारे पास इतने पैसे भी नहीं हैं। ऐसा लगता है कि कहीं हम भूखे ही नहीं मर जाएं।