हजारीबाग, झारखंड. कहते हैं आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है। ये मामले यही दिखाते हैं। लॉकडाउन के दौरान हजारों मजदूर पैदल घरों की ओर जाते दिखाई दिए, लेकिन कुछ ने खुद या अपने बच्चों को पैदल न चलना पड़े, इसलिए देसी जुगाड़ से गाड़ियां बना लीं। ये तस्वीरें कुछ समय पुरानी हैं, लेकिन यह एक सबक हैं। इस तरह की जुगाड़ से हम अपनी परेशानियां कुछ हद तक दूर कर सकते हैं। पहली तस्वीर बिहार के रहने वाले एक परिवार की है। यह आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में काम करता था। लॉकडाउन में घर वापसी के लिए कोई साधन नहीं मिला, तो दिमाग दौड़ाया। इन लोगों ने अपनी मोपेड में एक एक्स्ट्रा स्टैंड लगाया और कुछ दिनों में अपने घर पहुंच गए। वे रोज करीब 200 किमी गाड़ी चलाते थे। इस देसी जुगाड़ ने इस परिवार को पैदल चलने से बचा लिया। आगे पढ़िए इसी कहानी का शेष भाग..