चतरा, झारखंड. मिट्टी की सुगंध ही कुछ ऐसी होती है कि कोई कितना भी बड़ा आदमी बन जाए..उसे भूल नहीं पाता। भारत में यूं ही नहीं कहते-जय जवान जय किसान..। किसानों के लिए उनके खेत सबसे प्यारे होते हैं। वे किसान भी जो दूसरे कामों में लगे हुए हैं, जब भी मौका मिलता है, अपने खेत में आना नहीं भूलते। यह हैं झारखंड के श्रम, नियोजन और प्रशिक्षण मंत्री सत्यानंद भोगता। ये भी एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। सोमवार को मंत्रीजी अपने पैतृक गांव सदर थाना क्षेत्र के कारी पहुंचे। यहां उन्होंने लोगों की समस्याएं सुनीं। फिर अपने खेत देखने पहुंचे। वहां धान रोपाई का काम चल रहा था। मजदूर पानी और कीचड़ से भरे खेत में अपने काम में तल्लीन थे। भोगता से रहा नहीं गया। उन्होंने अपने कपड़े बदले और खेत में उतर गए। हल पकड़ा और उसे चलाने लगे। उन्होंने खेत में बैठकर धान भी रोपी। मंत्रीजी करीब 2 घंटे खेत में रहे। इस दौरान उनके सिक्योरिटी गार्ड्स खेत के बाहर मुस्तैद खड़े दिखाई दिए गए। मंत्रीजी ने कहा कि वे गरीब किसान के बेटे हैं। खेती करना उनका धर्म है।