20 करोड़ वर्ष पुरानी इस चीज से खुलेगा डायनासोर का रहस्य, एक चौंकाने वाली खोज

साहिबगंज, झारखंड. डायनासोर (Dinosaurs) हमेशा से वैज्ञानिकों के लिए रहस्य का विषय रहे हैं। पिछले कई सालों से भूवैज्ञानिक (Geologist) यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि 15-20 करोड़ वर्ष पहले की दुनिया कैसी रही होगी, डायनासोर का जीवन कैसा होगा? भूवैज्ञानिकों को समय-समय पर उस कालखंड के ऐसे जीवाश्म मिलते रहे हैं, जिनसे डायनासोर के बारे में थोड़ा-बहुत पता चलता है। अब साहिबगंज में पुरातत्व विभाग को 15-20 करोड़ वर्ष पुरानी जीवाश्म पत्तियां (Fossil leaves) मिली हैं। साहिबगंज पीजी कॉलेज के सहायक प्रोफेसर एवं भूवैज्ञानिक रंजीत कुमार सिंह के मुताबिक, ये जीवाश्म तालझाड़ी इलाके के दुधकोल पर्वत पर मिले हैं। यह कार्य केंद्र सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की एक परियोजना के तहत राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान, लखनऊ के सहयोग से हो रहा है। माना जा रहा है कि ऐसी पत्तियां शाकाहारी डायनासोर खाते होंगे। यहां पिछले 12 सालों से खोजबीन का काम चल रहा है, लेकिन ऐसे जीवाश्म पहली बार मिले हैं। इस इलाके में लगातार जीवाश्म मिल रहे हैं। इन पर देवी-देवताओं की आकृतियां दिखाई देने से आदिवासी उन्हें पूजने लगे हैं।

Asianet News Hindi | Published : Oct 1, 2020 4:17 AM IST

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20 करोड़ वर्ष पुरानी इस चीज से खुलेगा डायनासोर का रहस्य, एक चौंकाने वाली खोज

इन जीवाश्म पत्तियों के मिलने के बाद संभावना है कि यहां से डायनासोर के अंडों के जीवाश्म भी मिल सकते हैं।
 

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इस बीच दुधकोल गांव के लोग इन जीवाश्मों को देवी-देवताओं का अवतार मानकर पूजा-अर्चना करने लगे हैं।

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इन जीवाश्म की आकृतियां देवी-देवताओं के चित्रों की तरह होने से गांववाले ने पुराने देवी-देवता मान रहे हैं।

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तालझारी प्रखंड के सीमलजोड़ी, हरिजनटोला, झरनाटोला, निर्मघुट्टू और अन्य गांवों में ऐसे जीवाश्म लगातार मिल रहे हैं।
 

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इसी जगह पर गांववालों को एक गड्डे में भगवान शिव और पार्वती की मूर्ति भी मिली।

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भूगर्भ वैज्ञानिक डॉ. रणजीत कुमार बताते हैं कि यहां की पहाड़ियां आम लोगों के लिए तीर्थ स्थल से कम नहीं हैं। यहां पुराने जीवाश्म मिलते रहते हैं।

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