इस खिलाड़ी ने यह सोचकर प्राइवेट जॉब छोड़ी कि जिंदगी मे कुछ बड़ा करेंगे, लेकिन हुआ ऐसा कि 'खेल' बिगड़ गया

सरायकेला, झारखंड. देश में क्रिकेट को छोड़ दिया जाए, तो दूसरे अन्य खेलों की स्थिति कुछ खास नहीं है। इससे जुड़े खिलाड़ियों को अपनी जिंदगी चलाने काफी जद्दोजहद करनी पड़ी रही है। खेल की प्रैक्टिस के बीच घर के कामों में हाथ बंटाना पड़ रहा है। खासकर, ऐसे काम..जो सरकारी सुविधाओं का अभाव दिखाते हैं। जैसे पानी भरना, रोजगार के अभाव में दुकान चलाना। यह हैं नेशनल तीरंदाज अनिल लोहार। ये नेशनल गोल्ड मेडलिस्ट हैं। इनके घर में पानी का कोई इंतजाम नहीं है। लिहाजा ये एक स्कूल के हैंडपंप से पानी भरकर लाते हैं। चूंकि इस समय स्कूल बंद है, इसलिए इन्हें स्कूल की दीवार फांदकर सीढ़ियों के सहारे आना-जाना पड़ रहा है। जानिए एक खिलाड़ी की व्यथा..

Asianet News Hindi | Published : Jun 9, 2020 8:28 AM IST
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इस खिलाड़ी ने यह सोचकर प्राइवेट जॉब छोड़ी कि जिंदगी मे कुछ बड़ा करेंगे,  लेकिन हुआ ऐसा कि 'खेल' बिगड़ गया

अनिल लोहार सरायकेला के गम्हरिया प्रखंड के पिण्ड्राबेड़ा गांव में रहते हैं। उनके घर में पानी की सुविधा नहीं है। वे गांव के प्राइमरी स्कूल में लगे हैंडपंप से पानी भरकर लाते हैं। लेकिन इस समय स्कूल बंद है, लिहाजा उन्हें सीढ़ियों के सहारे दीवार फांदकर आना-जाना पड़ रहा है।

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अनिल लोहार ने बताया कि दीवार फांदते समय गिरने का डर बना रहता था। इसलिए उन्होंने घर में कुआं खोदने की ठानी। अब वे और उनकी पत्नी रोज 4 घंटे कुआं खोद रहे हैं। करीब 20 फीट गहरा कुआं हो चुका है। लेकिन अभी पानी नहीं निकला है।

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बता दें कि नेशनल तीरंदाज अनिल लोहार लॉकडाउन के चलते दाने-दाने को मोहताज हो गए। तीरंदाजी एकेडमी सरायकेला के मुख्य कोच बीएस राव ने बताया कि हालांकि अब स्टाईपेंड के 75 हजार जारी करने के लिए सरकार की अनुमति मिल गई है। (घर में कुआं खोदते अनिल लोहार)

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अनिल ने बताया कि पहले वे प्राइवेट जॉब करते थे। उन्हें लगा कि पूरा फोकस खेल पर देना चाहिए, तो जॉब छोड़ दी। लेकिन लॉकडाउन में आर्थिक स्थिति इतनी बिगड़ गई कि मुर्गे बेचकर घर चलाना पड़ रहा है। 
उनकी पत्नी चांदमनी कहती हैं कि घर किसी तरह चल रहा है। कभी-कभार वे अपने मायके से मदद ले लेती हैं।

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बता दें कि अनिल लोहार ने पिछले साल मार्च में ओडिशा में हुई नेशनल तीरंदाजी प्रतियोगिता में इंडियन राउंड के टीम इवेंट में गोल्ड मेडल जीता था। अनिल ने सरायकेला के रतनपुरा स्थित तीरंदाजी एकेडमी में अपने खेल की शुरुआत की थी।

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अनिल ने घर पर ही मुर्गे की दुकान खोल ली है। इससे कुछ आमदनी हो जाती है। अनिल कहते हैं कि उनका पहला प्यार तो तीरंदाजी ही है। इसलिए उसकी प्रैक्टिस भी करते रहते हैं। (स्कूल से पानी भरने दीवार लांघकर जाते अनिल)

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