12 साल की सरिता की दर्दभरी कहानी पढ़कर हैरान हुए सोनू सूद, फौरन किया वीडियो कॉल

रांची, झारखंड. लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों को उनके गांव-घर तक पहुंचाने की शुरुआत करने वाले सोनू सूद अब और भी तरीके से लोगों की मदद कर रहे हैं। सोनू सूद ने लोगों की मदद के लिए एक पूरी टीम गठित कर दी है। यह टीम गरीबों को रोजगार, घर, पढ़ाई-लिखाई से लेकर उनके इलाज तक में सहायता कर रही है। यह मामला रांची के चान्हो की रहने वाली 13 साल की सरिता उरांव से जुड़ा है। यह बच्ची पिछले 7 साल से भूलने की बीमारी डिमेंशिया से पीड़ित है। ऐसी स्थिति में इसके मां-बाप को दिल पर पत्थर रखकर रस्सी से बांधकर रखन पड़ रहा था। मीडिया और सोशल मीडिया के जरिये जब सोनू सूद को इस बच्ची के बारे में पता चला, तो हैरान रह गए। इस बारे में एक सोशल वर्कर अंकित राजगढ़िया ने सोनू सूद के ट्वीट किया था। सोनू सूद ने फौरन वीडियो कॉल के जरिये बच्ची की पूरी जानकारी मांगी। अब इसका इलाज रांची में होगा। सोनू सूद बच्ची के इलाज के साथ दवाओं आदि का भी खर्चा उठाएंगे। सोनू सूद ने अपनी टीम के सदस्य विशाल लांबा को इस काम में लगा दिया है। आगे पढ़ें इसी बच्ची के बारे में...

Asianet News Hindi | Published : Nov 7, 2020 5:50 AM IST
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12 साल की सरिता की दर्दभरी कहानी पढ़कर हैरान हुए सोनू सूद, फौरन किया वीडियो कॉल

सरिता के परिजन गरीब हैं। ऐसे में वे उसका ठीक से इलाज नहीं करा पा रहे थे। इसी बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी कलेक्टर को इस संबंध में आदेश दिए हैं। चान्हो सीओ प्रवीण सिंह ने बताया कि सरिता का इलाज सरकारी खर्च से होगा। इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। आगे पढ़ें-सोनू सूद की मदद से जैसे ही हुआ मासूम का ऑपरेशन, खुशी के साथ घरवालों को मिली शॉकिंग न्यूज

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करनाल, हरियाणा. विराज नामक इस बच्चे के पिता सुमित यूपी के अलीगढ़ के रहने वाले हैं। विराज की रीढ़ की हड्डी(spinal cord) में गंभीर बीमारी थी। परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहा है, ऐसे में सर्जरी का खर्चा नहीं उठा पा रहे थे। करीब ढाई साल से वे इलाज के लिए पैसे इकट्ठे कर रहे थे। तब किसी ने सोनू सूद के बारे में बताया। सोनू सूद की मदद से बच्चे की करनाल के एक हास्पिटल में नि:शुल्क सर्जरी हो गई। लेकिन इसी बीच उसके दादा प्रेम कुमार का अलीगढ़ में निधन हो गया। वे अपने पोते के इलाज को लेकर बेहद परेशान थे। जब उन्हें अच्छी खबर मिली, तो वे पोते से मिलना चाहते थे। लेकिन ऐसा नहीं हो सका। विराज की मां दीपिका बताती हैं कि सोनू सूद की मदद से उनका बच्चा बच गया। हालांकि उन्हें दुख है कि इस दौरान उन्हें काफी कष्ट झेलने पड़े। अब बच्चा ठीक हो रहा है। जब भी उसके सामने परिजन सोनू सूद की तारीफ करते हैं, तो वो टूटे-फूटे शब्दों में पूछता है कि ये सोनू सूद कौन हैं? पढ़िए इसी बच्चे की कहानी...
(तस्वीर में विराज के मम्मी-पापा)

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प्रेम कुमार का परिवार काफी सम्पन्न था। एक बार उन्हें बिजनेस में घाटा हुआ। इससे पहले कि वे घाटे से उबरते, उनकी पत्नी को कैंसर हो गया। उसके इलाज पर सारी जमा-पूंजी खर्च हो गई। विराज के पिता सुमित मेडिकल रिप्रेंजेटेटिव थे। हालात ऐसे बने कि उन्हें भी नौकरी छोड़नी पड़ी। इस बीच विराज की हालत बिगड़ती गई। यानी परिवार पर जैसे वज्रपात टूट गया था।  विराज को मल-मूत्र विसर्जन में दिक्कत होने लगी थी। 10 अक्टूबर को सोनू को ट्वीट करके मदद मांगी गई। सोनू सूद ने रिप्लाई किया कि 28 अक्टूबर को उसकी सर्जरी करनाल के विर्क अस्पताल में होगी। यहां सीनियर न्यूरो सर्जन डॉ.. अश्वनी कुमार ने विराज की सर्जरी की। लेकिन यह खुशी उसके दादा नहीं देख सके और वे चल बसे। आगे पढ़ें-सोनू सूद को ट्वीट करके भूल चुकी थी सोनामुनी, लेकिन ऐसा रिप्लाई मिला, जिसकी उम्मीद नहीं थी

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यह कहानी झारखंड के धनबाद की रहने वालीं 50 लड़कियों से जुड़ी है। मामूली-सी नौकरी या काम-धंधा (Employment) करके अपने परिवार की रोजी-रोटी में हाथ बंटाने वालीं इन लड़कियों के लिए लॉकडाउन एक बड़ा संकट था। इस बीच सोनामुनी को सोनू सूद के बारे में पता चला। उसने संकोच करते हुए सोनू सूद को ट्वीट किया। उसने बताया कि वो और 50 लड़कियां काम बंद होने से परेशान हैं। रोजगार के अभाव में भूखों मरने की नौबत आ गई है। सोनामुनी ने ट्वीट तो कर दिया, लेकिन उसे उम्मीद नहीं थी कि कुछ होगा। लेकिन जब सोनू का जवाब मिला, तो उसे भरोसा ही नहीं हुआ। सोनू सूद ने जवाब में लिखा-'धनबाद की हमारी यह 50 बहनें एक सप्ताह के भीतर कोई अच्छी नौकरी कर रहीं होंगी...यह मेरा वादा है।' सोनू सूद ने यह वादा पूरा किया।

आगे पढ़ें-चचेरे भाई ने हेल्प के लिए सोनू सूद को किया ट्वीट, तो यह बोला-मुझे नहीं लगता कि वो रिस्पांस करेंगे

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करनाल, हरियाणा. पिछले दिनों सोनू सूद की बदौलत मुंबई के उपनगर ठाणे के 23 वर्षीय होनहार फुटबालर अर्जुन को करनाल के एक हास्पिटल में जिंदगी जीने का दुबारा मौका मिल गया। फरवरी में हुए एक एक्सीडेंट में अर्जुन के घुटनों को चोट पहुंची थी। उनका करियर और जिंदगी दोनों दांव पर लग गए। अर्जुन एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता नहीं है। अर्जुन कॉल सेंटर में काम करके जैसे-तैसे अपनी जिंदगी गुजार रहे थे। उनके परिवार में मां और बहन है। जिनकी जिम्मेदारी भी उन्हीं के कंधे पर है। अगस्त में डॉक्टरों ने बताया कि अगर वे तीन लाख रुपए खर्च कर सकें, तो उनके घुटनों को ऑपरेशन हो सकता है। लेकिन अर्जुन के पास इतना पैसा नहीं था। वे निराश हो गए। इस बीच उनके चचेरे भाई शंकर ने सोनू सूद को ट्वीट किया। लेकिन अर्जुन इतने निराश हो चुके थे कि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि सोनू रिस्पांस देंगे। लेकिन सोनू सूद की टीम ने रिस्पांस किया। बल्कि करनाल में स्पोर्ट्स इंजरी एक्सपर्ट के जरिये उनका सफल ऑपरेशन भी कराया। 


 आगे पढ़ें..युवक ने कृत्रिक पैर लगवाने सोनू सूद से मांगी मदद, अकाउंट में पैसे पहुंचे, फिर भी हुआ यह

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देवास, मध्य प्रदेश.  देवास के विजय नगर निवासी दीपेश गिरी 22 फरवरी को बाइक से इंदौर से कैलादेवी जा रहे थे, तभी एक्सीडेंट में वे घायल हो गए। इलाज के दौरान उनका पैर काटना पड़ा। एक सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने वाले विजय के पास इतनी जमापूंजी नहीं थी कि वो कृत्रिम पैर लगवाने पर पैसा खर्च कर सकें। 19 अगस्त को दीपेश ने सोनू सूद को ट्वीट किया कि उनका एक पैर कट गया है, क्या वे अब कभी चल पाएंगे? क्या आप सहयोग करेंगे? इस पर सोनू सूद ने रिप्लाई किया कि चल भाई...आपकी नई टांग होगी, आपकी टांग लगवाता हूं। उन्होंने भोपाल की एक समाजसेवी संस्था के खाते में 25 हजार रुपए डलवा दिए। संस्था ने कॉल किया और बताया कि 19 हजार रुपए कम पड़ रहे हैं। यह सुनकर दीपेश मायूस हो गए। उन्होंने इंदौर निवासी अपने दोस्त केशव जोशी को बताया। केशव ने अपने पिता पूर्व पार्षद आशुतोष से मदद मांगी। इस तरह बाकी पैसे दोस्त के जरिये अकाउंट में आ गए। दीपेश सोनू सूद और अपने दोस्त को दुआएं दे रहा है कि उनकी बदौलत अब वो चल-फिर पा रहा है।

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