रांची, झारंखड. भारत में देसी जुगाड़ (Desi Jugaad) से गजब चीजें बनती रहती हैं। कहते हैं कि आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है। ऐसी तमाम चीजें इसी के बाद सामने आईं। यह तस्वीर भी इसी का उदाहरण है। यह कोई खेलने का झूला नहीं है। यह मजबूरी से जन्मा बांस का का पुल है। इस देसी जुगाड़ ने एक-2 नहीं, दर्जनों गांवों के सैकड़ों लोगों की परेशानी दूर कर दी। यह तस्वीर कुछ समय पहले मीडिया की सुर्खियों में आई थी। इसके जरिये हम आपको यही बताना चाहते हैं कि जहां चाह होती है, वहां राह होती है। यह मामला रांची से करीब 125 दूर लातेहार जिले के हेरहंज का है। यहां के दर्जनों गांवों के लोग बारिश और उसके कुछ समय बाद तक कटांग नदी के उफनने से घरों में कैद होकर रह जाते थे। जब सरकार से उनकी उम्मीदें टूट गईं, तो उन्होंने जिद पकड़ी और देसी जुगाड़ से बांस का यह पुल बना दिया। यह झूलता पुल बांस-तार-रस्सी और बल्लियों की जोड़तोड़ से बनाया गया है। आगे पढ़िए इसी पुल की कहानी...