मरीज की मौत के बाद परिजनों ने पकड़ ली लेडी 'भगवान' की गिरेबां, तो हंगामा खड़ा हो गया

रांची, झारखंड. यहां रिम्स (Rajendra Institute of Medical Sciences) में मंगलवार को जमकर हंगामा हो गया। सोमवार देर रात एक मरीज की मौत के बाद परिजन भड़क उठे। उन्होंने डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाया। वहीं, जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि परिजनों ने उनके साथ बदतमीजी की। यहां तक कि कपड़े तक फाड़ दिए। इसे बाद मंगलवार सुबह जूनियर डॉक्टर इमरजेंसी गेट के बाहर धरने पर बैठ गए। उन्होंने काला बिल्ल लगाकर काम किया। वे मृतक के परिजनों के खिलाफ FIR दर्ज करने का मांग कर रहे थे। पुलिस ने उनका आवेदन ले लिया है। बाद में दोनों पक्षों को समझाकर मामला शांत कराया गया। बरियातू थाने में डॉक्टरों द्वारा दिए गए आवेदन में लिखा गया कि रिम्स में धनबाद तिसरा के मरीज को भर्ती किया गया था। मरीज की हालत गंभीर थी। इसके बारे में परिजनों को बता दिया गया था। मरीज का इलाज अच्छे से किया जा रहा था। लेकिन सोमवार रात करीब 9 बजे उसकी मौत हो गई। इसके बाद परिजनों ने गुस्से में एक महिला डॉक्टर के कपड़े फाड़ दिए। आगे जाने पूरा मामला...
 

Asianet News Hindi | Published : Oct 27, 2020 12:01 PM IST

111
मरीज की मौत के बाद परिजनों ने पकड़ ली लेडी 'भगवान' की गिरेबां, तो हंगामा खड़ा हो गया

(तस्वीर में विरोध जताते डॉक्टर और मरीज की मौत के बाद हंगामा करते परिजन)
पुलिस में की गई शिकायत में बताया कि 40 वर्षीय प्रमोद को 12 अक्टूबर को रिम्स में भर्ती कराया गया था। उनके दिल और किडनी में बीमारी थी। वो डायलिसिस पर था। तमाम कोशिशों के बाद भी मरीज का बचाया नहीं जा सका। इस पर परिजनों ने हंगामा कर दिया। आगे देखें स्वास्थ्य सेवाओं से संबंधित कुछ हैरान करने वाली तस्वीरें...
 

211

सीकर, राजस्थान. यह तस्वीर डॉक्टर और पुलिस के गैर जिम्मेदाराना बर्ताव (Irresponsible treatment) को दिखाती है। इस महिला का पड़ोसी से झगड़ा हुआ था। मारपीट के चलते उसका गर्भपात (Abortion) हो गया। वो बच्चे को लेकर अस्पताल पहुंची, लेकिन डॉक्टर ने पुलिस केस बताकर इलाज से पल्ला झाड़ लिया। वहीं, पुलिस बोली कि पीड़िता उसके पास नहीं आई। जबकि लोगों ने देखा कि पीड़िता अपने बच्चे का शव सीने से चिपकाए कभी अस्पताल, तो कभी थाने का चक्कर काटती रही। महिला दो दिन तक बच्चे की लाश लिए भटकती रही। आखिरकार पीड़िता परिवार सीधे कोर्ट जा पहुंचा। तब कहीं जाकर पुलिस सक्रिय हुई। मामला नीमकाथाना कस्बे के लुहारवास का है। आगे पढ़ें-कोई जीये-मरे सरकार का क्या? इलेक्शन के वक्त 1000 वादें करते हैं नेता, बाद में 'दुनिया जाए भाड़ में'

311

गढ़वा, झारखंड. यह तस्वीर गढ़वा के बंशीधर नगर ब्लॉक स्थित कोईंदी गांव के खरवारा की है। यहां की रहने वालीं बुजुर्ग सोनिया कुंवर को इलाज के लिए उनके परिजन खाट पर लिटाकर अस्पताल तक ले गए। इस गांव में झझिवा जंगल से कोलझिंकी गांव तक करीब 6 किलोमीटर लंबी नदी है। बारिश में यह भरी होती है। गांववालों ने बताया कि ये लोग कई बार प्रशासन को नदी पर पुलिया बनवाने की मांग उठा चुके हैं, लेकिन उन्हें आश्वासन के अलावा कुछ हाथ नहीं लगा। आगे पढ़ें-जिनके पास खाने को पैसे नहीं, उनसे आप 4000 रुपए मांग रहे... 70 क्या, 700 किमी भी होता, तो ये पैदल घर जाते

411

यह तस्वीर छत्तीसगढ़ के कांकेर में सामने आई थी। 6 सितंबर को कोयलीबेड़ा विकासखंड के गांव गट्टाकाल निवासी 45 वर्षीय अमलूराम उईके पर बैल ने हमला कर दिया था। उसकी दायीं आखं में चोट आई है। उसे तुरंत कोयलीबेड़ा अस्पताल लाया गया। वहां से उसे कांकेर जिला अस्पताल रेफर किया गया। संजीवनी ने उसे कांकेर अस्पताल छोड़ दिया। यहां उसे रायपुर के लिए रेफर किया गया। लेकिन पैसे नहीं होने पर उसने घर लौटना मुनासिब समझा। क्योंकि एम्बुलेंसवाले ने 4000 रुपए मांगे थे। आगे पढ़ें..पिता को खाट पर लिटाकर 5 किमी भागते रहे बेटा

511

धनबाद, झारखंड. लिट्टीपाड़ा प्रखंड के जोराडीहा गांव के रहने वाले 50 साल के बीमार टुयलो मुर्मू की जान बचाने उसके बेटे और परिजन उन्हें खटिया पर लिटाकर अस्पताल भागे। शर्मनाक बात यह है कि ब्लॉक मुख्यालय से यह गांव सिर्फ 5 किमी दूर है। परिजनों ने कई बार 108 को कॉल किया। लेकिन एम्बुलेंस नहीं आनी थी, सो नहीं आई। सबसे बड़ी बात राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इसी इलाके से आते हैं। 

 

611

रोहतक, हरियाणा. यह दृश्य कनीना कस्बे में देखने को मिला था। यहां के वार्ड-8 में रहने वालीं सुषमा को प्रसव पीड़ा होने पर उनकी सास ने एम्बुलेंस को कॉल किया। सुषमा के पति कृष्ण कुमार ने बताया था कि जब 102 पर एम्बुलेंस के लिए कॉल नहीं उठाया गया, तो उनकी मां लक्ष्मी देवी पैदल ही सुषमा को लेकर अस्पताल के लिए निकल पड़ीं। 

आगे पढ़ें...बर्तन में बैठकर गर्भवती ने पार की उफनती नदी..फिर दर्द से कराहते हुए हॉस्पिटल तक पहुंची, लेकिन मिली बुरी खबर

711

यह मामला छत्तीसगढ़ के बीजापुर में सामने आया था। बीजापुर जिले के मिनकापल्ली निवासी हरीश यालम की पत्नी लक्ष्मी को प्रसव पीड़ा होने पर 4 लोग बर्तन में बैठाकर चिंतावागु नदी पार कराकर पहले गोरला लाए थे। वहां से भोपालपट्टनम हॉस्पिटल लेकर पहुंचे। लेकिन समय पर उपचार नहीं मिलने पर बच्चे ने गर्भ में ही दम तोड़ दिया।

आगे पढ़ें 28 किमी पैदल चली गर्भवती और फिर नवजात को लेकर इसी तरह लौटी...

811

गढ़चिरौली, महाराष्ट्र. यह मामला भामरागढ़ तहसील में पिछले दिनों सामने आया था। इस महिला का नाम है रोशनी। इसके गांव में कोई प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नहीं है। जब इसे प्रसव पीड़ा हुई, तो 6 जुलाई को यह एक आशाकर्मी के साथ 28 किमी दूर लाहिरी हॉस्पिटल पहुंची। वहां से उसे हेमलकसा स्थित लोक बिरादरी अस्पताल पहुंचा गया। यहां उसने एक बच्ची को जन्म दिया। यहां से भी यह महिला अपनी बच्ची को गोद में लेकर पैदल ही गांव लौटी।

आगे पढ़िए ऐसी ही कुछ अन्य घटनाएं...

911

कोंडागांव, छत्तीसगढ़. बल्लियों के सहारे बनाई गई पालकी पर लटकाकर इस गर्भवती को किमी दूर खड़ी एम्बुलेंस तक लाया गया। क्योंकि गांव तक रास्ता इतना ऊबड़-खाबड़ था कि एम्बुलेंस वहां तक नहीं पहुंच सकती थी। यह अच्छी बात रही कि एम्बुलेंस का ड्राइवर और नर्स अच्छे लोग निकले और उन्होंने गर्भवती को लाने के लिए यह रास्ता निकाला। मामला कोंडागांव माकड़ी विकासखंड के मोहन बेडा गांव का है।

आगे पढ़िए..ऐसी ही कुछ अन्य घटनाएं..जो सरकारी खामियों या महिलाओं की परेशानी को दिखाती हैं..

1011

यह मामला छत्तीसगढ़ के कांकेर में सामने आया था। 12 साल की यह लड़की मानकी कांकेर जिले की ग्राम पंचायत कंदाड़ी के आश्रित गांव आलदंड की रहने वाली है। उसके गांव में कोई स्वास्थ्य सेवा नहीं है। लिहाजा, मजबूरी में मानकी को परिजन उसे कंधों पर टांगकर इलाज के लिए लेकर गए। करीब 5 किमी उसे ऐसे ही लटकाकर नदी तक ले गए। वहां, उन्हें घंटेभर तक नाव का इंतजार करना पड़ा। नदी पार करके 6 किमी दूर छोटेबेठिया उपस्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। उनके गांव से उपस्वास्थ्य केंद्र की दूरी करीब 14 किमी है। इसके बाद उसे इलाज मिल सका।

आगे पढ़िए...खटिया को 'एम्बुलेंस' बनाया

1111

यह शर्मनाक तस्वीर झारखंड के पश्चिम सिंहभूम से सामने आई थी। यह मामला बिशुनपुर प्रखंड के गढ़ा हाडुप गांव का है। यहां रहने वाले बलदेव ब्रिजिया के पत्नी ललिता को प्रसव पीड़ा हुई। उस हॉस्पिटल तक ले जाने का जब कोई दूसरा साधन नहीं दिखा, तो खटिया को लोगों ने 'एम्बुलेंस' बना लिया। 

Share this Photo Gallery
click me!
Recommended Photos