जिस गांव के बॉर्डर पर ऐसे बोर्ड और पत्थर लगे दिखें, इसके मायने सीमा लांघना यानी मौत को दावत देना
पश्चिम सिंहभूम, झारखंड. जिले के अति नक्सल प्रभावित गुदड़ी थाना के बुरुगुलीकेरा गांव में पत्थलगढ़ी समर्थकों ने उपमुखिया जेम्स बुढ सहित 7 लोगों की हत्या के बाद से खौफ का माहौल है। पत्थलगढ़ी समर्थकों के डर से गांववाले जंगलों में छुपकर अपनी रात बिता रहे हैं। गांववालों का कहना है कि उन्हें अपनी रक्षा खुद करनी होगी। पुलिस उनकी कोई मदद नहीं कर पाएगी। गांव में सभी लोगों का एक ही जगह खाना बन रहा है। वे एकजुट होकर रह रहे हैं। कोई अकेले कहीं नहीं जा रहा है। बुधवार को गांव में एक बैठक हुई। उन्होंने बताया कि पत्थलगढ़ी समर्थक हथियारों के साथ घूम रहे हैं।
झारखंड से शुरू हुए आदिवासियों के पत्थलगढ़ी आंदोलन ने छत्तीसगढ़ तक अपना विस्तार कर लिया है। बताते हैं कि आदिवासियों को जल-जंगल और जमीन पर अधिकार दिलाने पत्थलगढ़ी समर्थक गांववालों को संगठित कर रहे हैं। पत्थलगढ़ी समर्थक बैठकें आयोजित करके लोगों को अपने पक्ष में कर रहे हैं। गांव में पत्थर के बोर्ड लगाकर अपने आंदोलन का ऐलान कर दिया गया है।
पहल जानें क्या हुआ था उस दिन: एसपी इंद्रजीत महथा ने बताया कि रविवार को बुरुगुलीकेरा गांव में पत्थलगढ़ी समर्थकों ने एक बैठक बुलाई थी। इसमें वे गांववालों से वोटर कार्ड, आधार कार्ड आदि कागजात जमा कराने को बोल रहे थे। उप मुखिया जेम्स बुढ़ और कुछ लोगों ने इसका विरोध किया। इसके बाद पत्थलगढ़ी समर्थक उपमुखिया सहित 7 लोगों को गुस्से में उठाकर जंगल ले गए। बाकी गांववाले वहां से भाग निकले।
एसपी ने बताया कि घटना के बाद पूरे इलाके में पुलिस और सीआरपीएफ की टीमें सर्च ऑपरेशन चला रही हैं। बताते हैं कि लाश मिलने से पहले तक किसी भी गांववाले ने पुलिस में कोई शिकायत नहीं की। हालांकि इसके बाद सोमवार को लापता लोगों के परिजन पुलिस तक पहुंचे। घटना स्थल सोनुवा थाने से करीब 35 किमी दूर है। यह जगह घने जंगलों के बीच है। यह इलाका नक्सली प्रभावित है। घटना के बाद दुर्गम बुरुगुलीकेरा व लोढ़ाई कैंप की 6 किलोमीटर के परिधि क्षेत्र में झारखंड एसाल्ट की टीम ने सर्च अभियान छेड़ा हुआ है। झारखंड जगुआर के रांची कैंप से 80 जवान भी इलाके की सर्चिंग कर रहे हैं। हरेक संदिग्ध से पूछताछ की जा रही है। पश्चिमी सिहंभूम के एसपी इंद्रजीत महथा ने भी माना है कि इस गांव में पत्थलगढ़ी की मान्यता है।
पत्थलगढ़ी समर्थक ऐसे दुर्गम ग्रामीण इलाकों पर फोकस कर रहे हैं, जहां सरकारी महकमा आसान से नहीं नहीं पहुंच सकता। हालांकि जो लोग इस आंदोलन के समर्थक नहीं है, उनके बीच खूनी संघर्ष की स्थितियां बन रही हैं।
आदिवासियों में पत्थलगढ़ी एक पुरानी परंपरा है। इसमें गांववाले गांव की सरहद पर एक पत्थर गाढ़कर रखते थे। इसमें अवांछित लोगों को गांव में घुसने पर गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी लिखी होती थी। हालांकि अब इन पत्थरों पर भारतीय संविधान की गलत व्याख्या करके गांववालों को उकसाया जा रहा है।