विश्व आदिवासी दिवस आज...पहली बार रांची में जनजातीय महोत्सव का रंगारंग आयोजन, cm ने केंद्र से की छुट्टी की मांग

रांची (झारखंड). 9 अगस्त को राज्य सहित पूरे विश्व में आदिवासी दिवस मनाया जाता है। इसी क्रम में राज्य की राजधानी रांची में दो दिवसीय जनजातिय महोत्सव की शुरूआत हुई। झारखंड आदिवासियों का राज्य है इसलिए आज का दिन झारखंड के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। यहां के जनजातिय लोग आज के दिन को पर्व की तरह मनाते हैं। आज का दिन उनके लिए किसी पर्व से कम नहीं है। रांची के जनजातिय महोत्सव में देश-विदेश के कलाकार और विद्वान पहुचे और अपनी कला का प्रतिभा दिखाया। सम्मेलन में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि आदिवासी समाज बिखरा हुआ है। हमारा खून एक है, हमारा समाज एक है तो सब लोगों को एकजुट होना चाहिए। बता दें कि रांची में दो दिन तक जनजातिय महोत्सव मनाया जाएगा। कल छत्तिगढ़ के सीएम भूपेश बघेल भी समारोह में शामिल होंगे। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं इस मंच से भारत सरकार से मांग करता हूँ कि पूरे देश में 9 अगस्त को सार्वजनिक अवकाश घोषित करनी चाहिए। वन अधिकार के जो पट्टे खारिज किये गए हैं। हम फिर से इसका रिव्यू करेंगे एवं जो भी लंबित हैं उसे 3 महीने के अन्दर पूरा करेंगे। फोटों में देखिए वहां के रंगारंग कार्यक्रम की झलकियां....

Sanjay Chaturvedi | Published : Aug 9, 2022 2:33 PM IST / Updated: Aug 10 2022, 02:23 PM IST
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विश्व आदिवासी दिवस आज...पहली बार रांची में जनजातीय महोत्सव का रंगारंग आयोजन, cm ने केंद्र से की छुट्टी की मांग

शिबू सोरेन ने किया उद्घघाटन
विश्व आदिवासी दिवस पर पहली बार आयोजित हो रहे झारखंड जनजातीय महोत्सव का शुभारंभ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और गुरुजी शिबू सोरेन ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। ऐतिहासिक मोरहाबादी मैदान में आयोजित इस दो दिवसीय महोत्सव के शुभारंभ कार्यक्रम में राज्यसभा सांसद महुआ माजी, मंत्री चंपई सोरेन, मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, सीएम के सचिव विनय कुमार चौबे सहित कई गणमान्य शामिल हुए। 

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विश्व आदिवासी दिवस के दिन शहीदों के लिए भी विशेष स्थान दिया गया। साथ ही कार्यक्रम की शुरूआत में उनकों याज करते हुए पुष्प अर्पित किए गए। झारखंड राज्य आदिवासी बहुल प्रदेश है, और उनके लिए आज का दिन किसी पर्व से कम नहीं है।

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सीएम ने पिता संग लिया प्रदर्शनी का जायजा 
महोत्सव के शुभारंभ मौके पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने पिता गुरुजी शिबू सोरेन के साथ जनजातीय संस्कृति से संबंधित लगे प्रदर्शनी का जायजा लिया। इस अवसर पर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के संदेश को अनुसूचित जाति-जनजाति विभाग के सचिव के के सोन ने पढते हुए आगंतुकों का स्वागत किया।

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दो दिवसीय इस महोत्सव में देश विदेश के कलाकार और विद्वान शिरकत कर रहे हैं जो ट्रायबल हिस्ट्री पर विचार रखेंगे। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा- जनजातीय महोत्सव के दो दिवसीय आयोजन में देश के विभिन्न कोनों से प्रबुद्धजन, संगीतकार, नृत्य मंडली, रॉक बैंड समेत अनेक आदिवासी कलाकार प्रतिभा का प्रदर्शन कर रहे हैं। राज्य के इतिहास में पहली बार समृद्ध आदिवासी जीवन की झलकियां देखने को मिलेगी।

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आदिवासी समाज के उत्थान के लिए इस कार्यक्रम की शुरुआत की गई है और लोगों तक यह बात पहुंचे इसके लिए आप सभी लोगों को एकजुट होकर काम करना है। ओडिशा में अपनी भाषा के लिए लिपि और व्याकरण बन रहा है और यह चीज हमारे विकास के लिए काफी अहम है।

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आदिवासी समाज बिरसा मुंडा और एकलव्य की संतान
आज यह जरूरी है कि आदिवासियों के प्रति सम्मान का भाव पैदा हो। आदिवासियों के लिए काम करने की जरूरत है। आदिवासी समाज मेहनत करके खाने वाला स्वाभिमानी समाज है। हम भगवान बिरसा मुंडा और एकलव्य की संतान है। इस समाज को कोई डरा या झुका नहीं सकता। हम वैसे लोग हैं जो गुरु की तस्वीर से ज्ञान सीख लेते हैं, हम पीछे से नहीं सामने से वार करते हैं और होने वाले वार को झेल भी लेते हैं। 

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आदिवासी ही मेरी पहचान और वजूद
जनजातीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए हेमंत सोरेन ने कहा यह मेरी सच्चाई है कि मैं आदिवासी हूं। यही मेरी पहचान है और यही मेरा वजूद। आज यह बात अपने समाज की पंचायत के सामने रख रहा हूं। झारखंड ऐसा राज्य है जहां सबसे ज्यादा जनजातीय लोग रहते हैं और आजादी की लड़ाई में समाज का बहुत योगदान रहा है। झारखंड बंटवारे के बाद पहली बार ऐसा हुआ है जब आदिवासी सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है, मैं पूरे देश से आए सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं। 

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आदिवासी ही जंगल बचा सकते हैं 
सीएम हेमंत सोरेन बोले- लूप्त हो रहे जंगलों को आदिवासी समाज ही बचा सकता है। आदिवासी को बचा लो जंगल भी बच जाएगा, जमीन भी बच जाएगी। खनिज संपदा हमारे पास है लेकिन ना तो हमारे पास फैक्ट्री है और ना ही आरा मशीन है। यह सिर्फ और सिर्फ बड़े उद्योगपतियों के पास होता है, कुछ लोगों को आदिवासी नाम से ही चिढ़ होती है। वह हमें आदिवासी नहीं वनवासी के नाम से पुकारना चाहते हैं। 
 

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आदिवासी समाज के उत्थान के लिए कार्यक्रम का आयोजन
झामुमो सुप्रीमो और सीएम के पिता शिबू सोरने ने कहा कि आदिवासी समाज के लिए सबसे ज्यादा आवश्यक है कि हमारी हर चीजें आमजन तक चलती रहे। आदिवासी समाज के लोग अपनी भाषा और सामाजिक नीति नियम के साथ आगे बढ़ रहे हैं और इसके लिए जरूरी है कि सामाजिक चेतना बनी रहे और लोगों तक आदिवासी के विकास की मूल भाषा और भावना पहुंचती रहे।

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