35 साल पहले जहरीली गैस से लग गए थे लाशों के ढेर, देखिए भोपाल गैस त्रासदी की दर्दनाक तस्वीरें

भोपाल. दुनिया के इतिहास में 3 दिसंबर 1984 को हुई भोपाल गैस त्रासदी को अब तक की सबसे खतरनाक ट्रेजेडी माना जाता है। इसमें करीब 8 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी, अपाहिज हो चुके सैकड़ो लोग आज भी इसका दंश झेल रहे हैं। 3 दिसंबर की रात 12 बजे जेपी नगर के सामने बने यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (यूका) के कारखाने में एक टैंक से ज़हरीली गैस मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआईसी) लीक हो गई थी जिसके हवा में घुलने के कारण लोगों की मौत हो गई थी। आज हम आपको इस घटना के 35 साल बाद उस त्रासदी की दर्दनाक तस्वीरें दिखा रहे हैं.................

Asianet News Hindi | Published : Dec 1, 2019 7:55 AM IST / Updated: Dec 02 2019, 05:01 PM IST

125
35 साल पहले जहरीली गैस से लग गए थे लाशों के ढेर, देखिए भोपाल गैस त्रासदी की दर्दनाक तस्वीरें
ज़हरीली गैस के असर और उस रात मची भगदड़ में हज़ारों लोग और पशु-पक्षियों की जानें गईं थीं।
225
भोपाल गैस त्रासदी की सबसे ज्यादा वायरल और दर्दनाक तस्वीर जिसमें जहरीली गैस से आंखों की रोशनी खो चुकी बच्ची को दफनाया गया था।
325
गैस लीक होने पर इंसान ही नहीं सैकड़ों जानवरों की भी जानें गई थीं।
425
कहा जाता है कि उस भायानक रात के अगले दिन सड़कों पर जानवरों की लाशें भी बिछी हुई थीं।
525
जहरीली गैसे से लोगों के मुंह से झाग निकल रहे थे अस्पताल पहुंचने से पहले ही उनकी मौत हो जा रही थी।
625
भोपाल के अस्पताल हमिदिया के बाहर लाशों के ढेर लग गए थे।
725
मरने वालों की पहचान के लिए उनकी तस्वीर दीवार पर टांग दी गईं।
825
गैस त्रासदी ने सैकड़ों मासूम बच्चों की जिंदगी लील ली।
925
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस दुर्घटना के कुछ ही घंटों के भीतर तीन हजार लोग मारे गए थे। हालांकि, गैरसरकारी स्रोत मानते हैं कि ये संख्या करीब तीन गुना जयादा थी।
1025
गैस के संपर्क में आने वाले कई लोगों ने शारीरिक और मानसिक रूप से अक्षम बच्चों को जन्म दिया है।
1125
बता दें की इस गैस त्रासदी में पांच लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए थे। हजारों लोग की मौत तो मौके पर ही हो गई थी।
1225
बच्ची को दफनाते हुए परिजन
1325
इस हादसे में मारे गए बच्चों को सार्वनिक तौर पर दफनाया गया था।
1425
जहरीली गैस के प्रभाव से इस व्यक्ति की आंखों की रोशनी चली गई और बच्चियों ने भी उसके पास बिलखते-बिलखते दम तोड़ दिया।
1525
दिसंबर 1984 में हुआ भोपाल गैस कांड दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी थी। उस वक्त एंडरसन यूनियन कार्बाइड का प्रमुख था। उसे घटना के चार दिन बाद गिरफ्तार किया गया था।
1625
हादसे में मारे गए लोगों को सामूहिक रूप से दफनाया गया और अंतिम संस्कार किया गया। तकरीबन 2000 जानवरों के शवों को विसर्जित करना पड़ा। आसपास के पेड़ बंजर हो गए थे।
1725
डॉक्टर ने कहा कि वह इतनी लाशों के पोस्टमॉर्टम भी नहीं कर पाएंगे, ऐसे में लोग अपनों को गोद में उठाए दौड़ पड़े थे।
1825
इस त्रासदी से पीड़ित माताएं आज भी बीमार बच्चों को जन्म दे रही हैं। जो बच्चे पैदा हुए या बच गए वह दिव्यांग हैं।
1925
रिसाव से बने गैस के बादल को हवा के झोंके अपने साथ बहाकर ले जा रहे थे और लोग मौत की नींद सोते जा रहे थे। हर कोई बचने के लिए आंखें बंद करके यहां से वहां अंधाधुंध भागे जा रहा था।
2025
उस रात गैस के प्रभाव से लोग सांस तक नहीं ले पा रहे थे, आंखों में जलन मच रही थी और सूजकर वे लाल हो गई थीं। इतना ही नहीं, लाखों लोग बुरी तरह से प्रभावित भी हुए थे। आज भी वहां के लोगों पर इस हादसे का असर साफ देखा जा सकता है। यहां बच्चे अपंग और दृष्टिबाधित हैं।
2125
इस दिन मिथाइल आइसोसाइनेट गैस (मिक) के रिसाव की वजह से तकरीबन 3787 लोग मारे गए थे। ये पूरे आंकड़े नहीं है बल्कि उस समय दर्ज हुए नंबर है।
2225
करीब 4000 लोग ऐसे थे जो गैस के प्रभाव से परमानेंट डिसेबल हो गए थे जबकि 38,478 को सांस से जुड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था।
2325
जिंदा बचे लोग कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं। कैंसर एक अकेली बीमारी नहीं है, जिससे गैस प्रभावित लोग जूझ रहे हैं, सैकड़ों बीमारियां हैं।
2425
मृतकों को दफनाते परिजन
2525
आज भी वहां के लोगों पर इस हादसे का असर साफ देखा जा सकता है। यहां बच्चे अपंग और दृष्टिबाधित हैं।
Share this Photo Gallery
click me!
Recommended Photos