हादसे में मारे गए निर्वेश और राघवेंद्र सिंह शहडोल जिले के अंतौली गांव के रहने वाले थे। वहीं, मुनीम और नेमसा उमरिया जिले के ममान गांव से थे। इन चारों के परिवालवाले इस बात से खुश थे कि काम भले छूट गया, लेकिन वे घर आ रहे हैं। लेकिन कुछ देर बाद जब उनकी मौत की खबर मिली, तो जैसे परिजनों पर पहाड़ टूट पड़ा। बता दें कि मरने वाले 9 मजदूर अंतौली गांव से थे। सब आपस में रिश्तेदार थे। निर्वेश और राघवेंद्र की मां का बहुत पहले निधन हो चुका है। अब घर में अकेले 80 साल के बूढ़े पिता बचे हैं। उन्हें अपने बेटों की मौत का गहरा सदमा लगा है। निर्वेश की कुछ समय बाद शादी होने वाली थी। इस हादसे ने प्रवासी मजदूरों की घर वापसी को लेकर सरकार की नाकामी को सामने ला दिया है।