इस बात से दुखी होकर लिया था संकल्प
दरअसल, जब 1992 में ढांचा गिरा था तो उस दौरान उर्मिला चतुर्वेदी 53 साल की थीं। ढांचा गिरने के बाद देश मे दंगे होने, बस इसी बात से दुखी होकर उर्मिला देवी ने संकल्प लिया था कि जब तक सबकी सहमति से मंदिर निर्माण शुरू नहीं हो जाता वह उस दिन तक अनाज का एक दाना भी ग्रहण नहीं करेंगी। फिर चाहे मैं मर ही क्यों ना जाऊं। भगवान ने उनकी पुकार सुनी और 5 अगस्त को मंदिर का भूमिपूजन होने जा रहा है।