बालाघाट, मध्य प्रदेश. लकड़ी की हाथ गाड़ी पर बैठी इस 2 साल की मासूम के लिए यह कुछ देर तक खेल था। लेकिन जब पिता लगातार उसे बैठाकर गाड़ी खींचता रहा, तो बच्ची मायूस हो गई। उसे समझ आ गया कि यह खेल नहीं, मजबूरी है। यह मजदूर परिवार हैदराबाद से 800 किमी का सफर करके जब मप्र के बालाघाट अपने गांव पहुंचा, तो रास्ते में उसे देखकर पुलिसवाले भावुक होकर रो पड़े। बच्ची की मां गर्भवती है। वो भी पैदल चल रही थी। बेटी को पैदल न चलना पड़े और अगर उसे लादकर चलते, तो भी इतना लंबा सफर तय करना आसान नहीं था। लिहाजा, मजबूर पिता ने दिमाग दौड़ाया और बाल बियरिंग के जरिये लकड़ी की एक गाड़ी बना ली। उस पर बच्ची बैठाया..सामान को रखा और चल पड़ा।