भोपाल हादसा: सोशल मीडिया पर अलर्ट था पूरा प्रशासन, इधर नाव डूब गई

भोपाल के छोटा तालाब स्थित खटलापुरा घाट पर शुक्रवार तड़के करीब 4.30 बजे गणेश विसर्जन के दौरान नाव पलटने से हुई 11 युवाओं की मौत ने जिला प्रशासन, नगर निगम, होमगार्ड और आपदा प्रबंधन सभी की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। शर्मनाक बात यह है कि सभी डिपार्टमेंट सोशल मीडिया पर अकसर दावा करते रहे कि वे हर घटना-दुर्घटना का सामना करने पूरी तरह मुस्तैद हैं। सभी डिपार्टमेंट का दावा था कि ऐसी घटनाओं को रोकने लोगों को ट्रेनिंग दी जा रही है। लेकिन खटलापुरा घाट पर ऐसी कोई मुस्तैदी नजर नहीं आई। आपदा प्रबंधन के एडीजीपी दिनेश सागर फेसबुक पेज पर अकसर अपनी टीम की मुस्तैदी को लेकर पोस्ट करते रहे। लेकिन इस हादसे ने सभी इंतजामों की पोल खोल दी। जहां यह दुर्घटना हुई, वहां से कुछ ही दूरी पर SDRF और होमगार्ड का दफ्तर है। वहीं नगर निगम का दावा था कि गणेश विसर्जन के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। गोताखोरों को तैनात किया गया है। बावजूद हादसा हो गया। मरने वाले लाइफ जैकेट नहीं पहने हुए थे।

Asianet News Hindi | Published : Sep 13, 2019 6:52 AM IST / Updated: Sep 13 2019, 04:04 PM IST
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भोपाल हादसा: सोशल मीडिया पर अलर्ट था पूरा प्रशासन, इधर नाव डूब गई
उल्लेखनीय है कि एक छोटी-सी नाव पर 20 लोग बैठे हुए थे। हैरानी की बात यह है कि हादसा स्थल के पास ही मप्र होमगार्ड और राज्य आपदा बचाव दल(SDRF) के मुख्यालय है। बावजूद वहां घटना-दुर्घटना से निपटने कोई खास इंतजाम नहीं किए गए थे। मरने वाले सभी 1100 क्वार्टर एरिया के रहने वाले थे। किसी ने लाइफ जैकेट नहीं पहना था।
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घटना का एक वीडियो सामने आया है। इसमें मोबाइल से वीडियो बनाने वाला बता रहा है कि विसर्जन को शूट कर रहा था। तभी उसने देखा कि एक नाव से गणेशजी की बड़ी प्रतिमा विसर्जन के दौरान तालाब में गिरती है। इसी बीच नाव का संतुलन बिगड़ जाता है। देखते ही देखते सभी अपनी जान बचाने एक-दूसरे पर कूद जाते हैं।
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जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने घटना को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। मप्र के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने घटना की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं। सरकार ने मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख रुपए मुआवज़ा देने का एलान किया है। इस मामले में फरियादी निर्मल कुमार दास पिता दिलीप कुमार दास की रिपोर्ट पर नाव चलाने वाले आकाश बाथम एवं चंगु बाथम के विरुद्ध थाना जहांगीराबाद में मामला दर्ज किया गया है।
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हादसे को लेकर प्रशासन की तैयारियों पर सवाल खड़े हो गए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान घटना को एक आपराधिक लापरवाही बताया है। उन्होंने कहा कि दुर्घटना के लिए कलेक्टर और नगर निगम कमिश्नर जिम्मेदार हैं। दोनों की जिम्मेदारी थी कि विसर्जन घाट पर गोताखोरों की व्यवस्था रखते। पुलिस और होमगार्ड की जिम्मेदारी थी कि नाव में ज्यादा लोगों को न बैठने दिया जाता। बताते हैं कि छोटी-छोटी नावों पर 20-25 लोग चढ़े हुए थे।
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मुख्यमंत्री कमलनाथ ने घटना की मजिस्ट्रियल जांच भोपाल एडीएम को सौंपी है। इस पर शिवराज सिंह चौहान ने सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि एसडीएम अपने सीनियर अफसरों की गलती कैसे निकालेगे? शुरुआत में 11 युवकों के शव निकाले गए। उनके नाम रोहित मौर्य, करण, हर्ष, सन्नी ठाकरे, राहुल वर्मा, विक्की, विशाल, अर्जुन शर्मा, राहुल मिश्रा, करण और परवेज हैं।
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जहां यह हादसा हुआ, वहीं नजदीक ही होमगार्ड और राज्य आपदा बचाव दल(SDRF) का मुख्यालय है। इनकी तैयारियों और मुस्तैदी भी कटघरे में आ गई है। NDRF ने ईदगाह हिल्स पर अपना रीजनल रिस्पांस सेंटर भी खोला है। दावा है कि इसकी टीम नदी-नालों और तालाब में डूबने वालों को बचाने 24 घंटे मुस्तैद है। फेसबुक पर सक्रिय रहने वाले आपदा प्रबंधन के ADGP दिनेश सागर अकसर दावा करते रहे हैं कि उनकी टीम लोगों को सुरक्ष और दूसरों की रक्षा करने की ट्रेनिंग देती रहती है। सवाल यह है कि क्या गणेश विसर्जन के पहले कोई ट्रेनिंग दी गई थी, तो उसका क्या असर दिखा? लोग बगैर लाइफ जैकेट के कैसे नाव पर सवार हो गए? उन्हें लाइफ जैकेट दी भी गई थी या नहीं?
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