मुझे अंदर आने देते तो सारे बच्चों को निकाल लेता...
राजगढ़ निवासी रमेश दांगी ने बताया कि उनकी पत्नी सुल्तानिया अस्पताल में भर्ती हैं। तीन दिन पहले उनके घर दो जुड़वा बच्चों का जन्म हुआ। बच्चों को अभी मां ने देखा तक नहीं है। डॉक्टरों ने बच्चों को पीडियाट्रिक वार्ड में भर्ती किया है। रात करीब 8 बजे वह दूध लेकर आए थे। उन्होंने दूध की डिब्बी रखकर सिस्टर को बोला कि यह दूध पिला देना। सिस्टर ने कहा कि रख दो, अभी थोड़ी देर में पिलाएंगे। मैं कुछ दूरी तक गया ही था कि इतने में आग लगने का शोर सुनाई दिया। मैं दौड़कर वापस आया तो देखा कि वार्ड के अंदर धुआं भर गया है। मैंने सिस्टर को बोला कि गेट खोलो, इन बच्चों को निकाल लेते है। लेकिन, सिस्टर ने गेट नहीं खोला। इस मैंने सोचा कि धुएं में बच्चे मर जाएंगे। काले धुएं कुछ दिखाई नहीं दे रहा। मैंने गेट पर लात मारना शुरू किया, लेकिन गेट नहीं टूटा। इसके बाद मैंने हाथों से गेट तोड़ने की कोशिश की। जिससे कई जगह चोट लग गई। जब गेट तोड़ने के बाद देखा तो वहां स्टाफ भाग गया था। अंदर कुछ भी दिखाई नहीं दिया। धुआं के कारण आंखों में आंसू आ रहे थे। बच्चे भी नहीं दिख रहे थे। रमेश कहते हैं कि यदि उस समय सिस्टर गेट खोल देती तो मैं अपने बच्चों के साथ दूसरों के बच्चों को भी बचा कर बाहर ले आता। मैंने सुबह ही पत्नी की छुट्टी के लिए बोला था, लेकिन छुट्टी नहीं दी।