भोपाल के अस्पताल में आग: सामने आईं भयावह तस्वीरें, मंजर इतना दर्दनाक कि चीखते रहे बच्चे, कोई बचा नहीं सका

भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में सोमवार रात कमला नेहरू चिल्ड्रन हॉस्पिटल में आग लगने से 4 बच्चों की मौत हो गई है। 3 बच्चे झुलस गए हैं। आग तीसरी मंजिल पर स्थित नवजात गहन चिकित्सा इकाई ( NICU) में लगी। इस वार्ड में 40 बच्चे एडमिट थे, जिन्हें दूसरी जगह शिफ्ट किया गया। मौत का यह तांडव देख हर कोई सहम गया। घटना की भयावह तस्वीरें सामने आई हैं। हादसे के बाद अस्पताल परिसर में चारों तरफ परिजनों की चीत्कार, गुहार और बदहवास हालत देख हर कोई सहम गया। कैंपस में एंबुलेंस और फायर ब्रिगेड की आवाजें सुनाई दे रही थी। परिजन सिर्फ चीखते और बचाने के लिए आगे आने का बेकरार देखे गए। मगर, किसी को अंदर जाने की अनुमति थी। हर कोई अपने बच्चों की सलामती के लिए दुआ कर रहा था। कोई खैर-खबर देने वाला तक नहीं था। अफसर से लेकर विभाग तक... कोई कुछ बताने की स्थिति में नहीं था। हर तरफ अफरा-तफरी मची थी। तस्वीरों में देखिए हमीदिया अस्पताल कैंपस में स्थित कमला नेहरू चिल्ड्रन हॉस्पिटल में हादसे की भयावहता... 
 

Asianet News Hindi | Published : Nov 9, 2021 3:02 AM IST / Updated: Nov 09 2021, 08:37 AM IST
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भोपाल के अस्पताल में आग: सामने आईं भयावह तस्वीरें, मंजर इतना दर्दनाक कि चीखते रहे बच्चे, कोई बचा नहीं सका

घटना की सूचना मिलते ही वार्ड की तरफ भागे परिजन
घटना के वक्त जैसे ही परिजन को पता चला तो उन्होंने वार्ड की तरफ दौड़ लगा दी। हर कोई अपने बच्चे तक पहुंचना चाहता था। मगर, अंदर जाने की इजाजत नहीं थी। यहां जैसे ही रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हुआ, वार्ड तक पहुंचने के लिए परिजन की भीड़ सीढ़ियों पर देखने को मिली। सभी जल्दी तीसरी मंजिल तक पहुंचना चाहते थे। फिलहाल, नवजात बच्चों को अलग-अलग वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है।
 

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परिजन में देखी गई नाराजगी
आग लगने के दौरान बड़ी संख्‍या में बच्‍चों के परिजन अस्पताल के बाहर जमा हो गए थे। इनमें अस्‍पताल प्रबंधन के प्रति आक्रोश साफ देखा जा रहा था। कई बच्‍चों का उपचार जारी है। कुछ की हालत गंभीर बताई जा रही है। आग का कारण शॉर्ट सर्किट बताया जा रहा है । मौत का आंकड़ा बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।

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हमीदिया अस्पताल परिसर में है कमला नेहरू अस्पताल 
कमला नेहरू अस्पताल हमीदिया अस्पताल परिसर में स्थित है। घटना के कारण अस्पताल परिसर में अफरा-तफरी का माहौल हो गया था। आग पर काबू पाने के लिए नगर निगम के अमले के साथ ही पुलिस प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंच गए थे।
 

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बच्चों की जांच के लिए पहुंचे डॉक्टर
करीब 40 बच्‍चे तीसरी मंजिल पर बच्‍चा वार्ड में भर्ती थे। आग बुझाकर इन्‍हें निकाल लिया गया है। घटना में 4 बच्चों की मौत हुई। इनमें 3 बच्‍चों की धुएं से दम घुटने से मौत हो गई। अन्य बच्चों की जांच के लिए डॉक्‍टरों को बुलाया गया है।

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घटना के बाद छा गया था अंधेरा
चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि शॉर्ट सर्किट के कारण विशेष नवजात देखभाल इकाई (एसएनसीयू) वार्ड में लगी। आग में चार बच्चों की मौत हो गई। घटना की सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचे। वार्ड के अंदर अंधेरा था। बच्चों को तुरंत रेस्क्यू किया और बगल के वार्ड में शिफ्ट कर दिया।

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3 घंटे बाद आग पर काबू
फतेहगढ़ फायर स्टेशन के प्रभारी जुबेर खान ने कहा कि अस्पताल की तीसरी मंजिल पर एक वार्ड में आग लगी थी, जिसमें आईसीयू है। रात करीब 9 बजे की घटना है। दमकल विभाग की 8-10 गाड़ियों को घटनास्थल पर भेजा गया और करीब 3 घंटे बाद आग पर काबू पा लिया।
 

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सीएम ने दुख जताया, जांच के आदेश
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घटना पर दुख जताया और कहा- घटना की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दे दिए गए हैं। अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा, मोहम्मद सुलेमान इस संबंध में जांच करेंगे। उन्होंने पीड़ितों के परिवार के सदस्यों के लिए ₹4 लाख के मुआवजे की घोषणा की है।

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बच्चों के इलाज का समुचित प्रबंध करे सरकार
पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता कमलनाथ ने कहा कि घटना बेहद दुखद है। सरकार बचाव और राहत कार्य के सभी आवश्यक इंतजाम करे। इस दुखद घटना के बाद से भर्ती बच्चों के परिजन बेहाल हैं। सरकार भर्ती बच्चों के अन्य अस्पतालो में इलाज की समुचित व्यवस्था करे। ईश्वर से प्रार्थना है कि सभी बच्चे सकुशल हो। इस पूरी घटना की उच्च स्तरीय जांच हो, जिम्मेदार दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई हो।

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बच्चों को रेस्क्यू करने वाले भी मुश्किल में पड़े
वार्ड में से धुआं निकालने के लिए स्टाफ ने आनन फानन में कांच तोड़ दिए, जबकि कुछ स्टाफ बच्चों को नीच की पीडियाट्रिक सर्जरी वार्ड तक पहुंचाने में जुट गए। इसके साथ ही धुआं दूसरे वार्ड में भी भराने लगा। बच्चों को सुरक्षित स्थान पर ले जाते वक्त तीन नर्सिंग स्टाफ और एक वार्ड ब्वाय भी धुएं की वजह से बेहोशी स्थिति में पहुंच गए।

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नाम के लिए लगे हैं फायर हाईड्रेड
अस्पताल के अनुसार, एनआईसीयू वार्ड नाम मात्र के फायर एस्टिग्युसर के भरोसे है। फायर नार्मस के अनुसार एक्जिट गेट तक नहीं है। 21 साल पुरानी बिल्डिंग में फायर हाइड्रेड लगे हैं, लेकिन इनकी लंबे समय से मरम्मत नहीं होने से ठप पड़े हैं। यही कारण है कि आग तेजी से फैली। आग के कारण एनआईसीयू और वार्ड धुंआ धुंआ हो गया। स्थिति यह थी कि लोग एक दूसरे को भी नहीं देख पा रहे थे। इसके कारण बच्चों को दूसरे वार्ड में शिफ्ट करने में भी दिक्कत का सामना करना पड़ा। 

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बिजली बंद होने से अन्य वॉर्ड में परेशानी
आग लगने के बाद बिजली की आपूर्ति बंद कर दी गई थी, जिसके कारण अस्पताल के अन्य बच्चों के वार्डों के जीवन रक्षक उपकरण बंद हो गए। जिनमें बैटरी बैकअप खत्म होने सके बाद कुछ वेंटीलेटर ने भी काम करना बंद कर दिया। जिसके बाद वेंटीलेटर पर रहने वाले बच्चों को अंबूबैग से ऑक्सीजन देनी पड़ी, बाद में इन बच्चों को भी दूसरी मंजिल पर स्थित सर्जरी वार्ड में शिफ्ट करना पड़ा। इनके लिए तुरंत स्टोर से 40 से 50 ऑक्सीजन सिलेंडर और अन्य उपकरण मंगाए गए।

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परिजन ने नारेबाजी की
अस्पताल के बाहर परिजनों ने प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। उनका कहना था कि बच्चे जैसे भी स्थिति में हो उन बच्चों से मिलवाया जाए। अस्पताल प्रबंधन और पुलिस प्रशासन परिजनों को आश्वासन दे रहे हैं कि अंदर भर्ती बच्चे पूरी तरह सुरक्षित हैं और किसी को किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं है। एक माह पहले भी अस्‍पताल में आगजनी की घटना हुई थी। तब करीब पांच फायर ब्रि‍गेड बुलवानी पड़ी थी, आज भी आधा दर्जन से अधिक आग बुझाने के वाहन बुलाने पड़े।

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