दादी की आखिरी इच्छा पूरी करने जा रहे हैं ज्योतिरादित्य, सिंधिया परिवार के BJP से रहे हैं गहरे संबंध
ग्वालियर (मध्य प्रदेश). ज्योतिरादित्य सिंधिया का कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देने के बाद लगभग यह तह हो गया है कि मध्यप्रदेश में अब कमलनाथ सरकार गिरने वाली है। वहीं सिंधिया के पीएम ओर अमित शाह की मुलाकात के बाद से यह कयास भी लगाए जा रहे हैं कि वह जल्द ही भारतीय जनता पार्टी जॉइन कर सकते हैं। अगर सिंधिया ऐसा करते हैं तो उनकी दादी राजमाता विजयाराजे सिंधिया का सालों पुराना सपना पूरा हो जाएगा। क्योंकि राजमाता हमेशा चाहती थीं कि उनका पूरा परिवार बीजेपी में शामिल हो जाए। जिस तरह से पिछले कुछ दिनों से प्रदेश की राजनीति और ज्योतिरादित्य को लेकर घटना क्रम चल रहा है उससे यही लग रहा है कि वह जल्द ही दादी के सपने को साकार कर सकते हैं। क्योंकि अब सिंधिया पूरी तरह से बगावत के मूड में आ चुके हैं। हालांकि अभी उन्होंने किसी दल की सदस्यता नहीं ली है।
बता दें कि राजमाता ने अपनी राजनीति की शुरूआत 1957 में कांग्रेस पार्टी से की थी। वह पहली बार एमपी के गुना की लोकसभा सीट से सांसद बनी थीं। हालांकि 10 साल बाद ही 1967 में वह जनसंघ में चली गईं थीं। विजयाराजे सिंधिया के जनसंघ में आने के बाद मध्यप्रदेश में खासकर ग्वालियर संभाग में मजबूती बड़ी थी। जब 1971 में इंदिरा गांधी की बदौलत कांग्रेस की लहर थी, इसके बावजूद भी राजमता यहां से लगातार तीन बार सांसद चुनी गईं थीं।
राजमाता विजयाराजे के बेटे और ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया कांग्रेस में रह चुके हैं। उन्होंने अपाताकाल के बाद जनसंघ और अपनी मां से अलग हो गए थे। वह 1980 में सिर्फ 26 साल की उम्र में वो गुना क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी के सांसद चुने गए थे। इतना ही नहीं माधवराव केंद्र की कांग्रेस सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं। उन्होंने अपनी मां से कहा था कि मैं जीते जी कभी भी जनसंघ में शामिल नहीं हो सकता। 30 सितंबर 2001 को एक प्लेन क्रैश में माधवराव की मृत्यु हो गई थी।
बता दें कि राजमाता विजयाराजे की दोनों बेटियां और ज्योतिरादित्य सिंधिया की बुआ वसुंधरा राजे सिंधिया और यशोधरा राजे सिंधिया अपनी मां की तरह बीजेपी से राजनीति शुरू की है। जहां वसुंधरा राजे राजस्थान की मुख्यमंत्री भी रह चुकी हैं। वहीं यशोधरा राजे मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार में केबिनट मिनिस्टर रह चुकी हैं। फिलहाल सिंधिया की दोनों बुआ प्रदेश में विपक्ष की भूमिका निभा रही हैं।
माधवराव के निधन के बाद अब सवाल यह था कि उनके पिता की राजनीतिक विरासत को कौन संभालेगा। पिता की तरह ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी कांग्रेस पार्टी में रहना ही अपने आपको बेहतर समझा। 18 साल पहले जमाधवराव सिंधिया की मौत के बाद जब 2002 में गुना सीट पर उपचुनाव हुए तो ज्योतिरादित्य कांग्रेस से सांसद चुने गए। इस 17 में वह कभी भी यहां से चुनाव नहीं हारे। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में हार का सामना करना पड़ा था।
ज्योतिरादित्य सिंधिया का इस्तीफा देने के बाद जब मीडिया ने उनकी बुआ और मध्य प्रदेश भाजपा की नेता यशोधरा राजे से बात की तो उन्होंने कहा- ज्योतिरादित्य अगर भाजपा में शामिल होंगे तो मेरी मां राजामाता की आखिरी इच्छा पूरी हो जाएगी। क्योंकि वह चाहती थीं कि ज्योतिरादित्य भी भाजपा में शामिल हो जाएं।