बता दें कि राजपुरा गांव की ऐसी पहली कोई अंतिम यात्रा थी जिसमें पुरुषों के साथ महिलाएं और बच्चे शामिल थे। आखिर में शव यात्रा गांव के मंदिर पर ले जाई गई। जहां यह बदंर रहता था, विधि-विधान से वहां उसकी पूजा की गई, इसके बाद उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया।