दरअसल, यह भयावह मंजर छिदंवाड़ा जिले का है। जहां करीब 50 ऐसे परिवार हैं जिनके घरों का राशन खत्म हो गया है। सारी जमा पूंजी भी समाप्त हो गई। ऐसे में कोई दुकानदार उनको उधार राशन देने को तैयार नहीं है। आखिर में इन परिवारों ने खुद को जिंदा रखने के लिए जानवरों के लिए दिया जाने वाला भोजन यानि एक तरह की खरपतवार की रोटी बनाकर खाने को मजबूर हैं। फोटो में दिखाई दे रही यह बुजुर्ग महिला श्यामबाई आदिवासी है जो इस तरह खाना तैयार कर रही है। इस मामले पर तहसीलदार एमपी उदैनिया का कहना है कि जल्द ही इनके लिए राशन का इंतजाम किया जाएगा।