दरअसल, मंडला के रहने वाले सज्जन सिंह ने कहा-मैं कितना किस्मत वाला हूं जो इस भयानकर हादसे में जिंदा बच गया। मौत मुझको छूते हुए निकल गई और मेरे 16 साथी मेरे ही सामने मर गए और में उनकी जान तक नहीं बचा सका। जिनके साथ रोज का उठना बैठना था, अक्सर हम सुख-दुख बातें करते थे, रात को हम सब एक साथ खाना खाकर सोए थे। लेकिन जब सुबह देखा तो उनकी बिखरी हुईं लाशें मेरे सामने पड़ी हुईं थी।