दरअसल, यह कहानी आदिवासी मंगला, थावरा और नानूराम भावर भाईयों की है, जो कि रतलाम जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूर सांवलियारुंडी गांव में रहते हैं। आज से करीब 60 साल पहले 1961 में तीनों भाईयों के गरीब पिता से गांव के ही दबंग लोगों ने धोखाधड़ी करके कम दामों में उनकी 16 बीघा जमीन हथिया ली थी। वह सड़क पर आ गए और मजदूरी करना पड़ गई।