दरअसल, दुर्घटनाग्रस्त बस 32 सीटर थी, लेकिन ड्राइवर और कंडक्टर ने बस की क्षमता से दो गुना यात्रियों को बैठा लिया था। बताया जाता है कि बस को अपने तय समय से सुबह 5 बजे निकलना था, लेकिन ड्राइवर बालेंद विश्वकर्मा ने मालिक के कहने पर दो घंटे पहले ही 3 बजे ही रवाना कर दिया था। ज्यादातर यात्री युवा थे जो रेलवे की परीक्षा देने के लिए सतना जा रहे थे। लेकिन उनको क्या पता था कि आगे मौत उनका इंतजार कर रही है। फिर आगे ट्रैफिक जाम होने के कारण ड्राइवर ने रास्ता बदल लिया और 7 किमी नए रूट पर संकरी सड़क पर गाड़ी को दौड़ाने लगा। रास्ते में किसी ने उससे साइड भी मांगी, लेकिन वह रफ्तार में दौड़ाता रहा, फिर रामपुर के नैकिन इलाके में पटना पुल के पास सुबह करीब साढ़े सात बजे के आसपास बस नहर में जा गिरी।