सीधी बस हादसे की पूरी कहानी: 32 सीट मे भरे 55 यात्री, ड्राइवर ही नहीं मालिक की भी गलती..51 की मौत

सतना (मध्यप्रदेश). सीधी में मंगलवार सुबह बड़ा हादसा हो गया। इस एक्सीडेंट में मरने वालों की संख्या 51 तक जा पहुंची है।  NDRF-SDRF और स्थानीय प्रशासन ने बचाव कार्य समाप्त कर दिया है। अब तक 28 पुरुष, 22 महिलाएं और 1 बच्चे के शव के निकाल चुके हैं।  मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तक ने इस भयानक हदासे पर दुख जताया है। पीएम राहत कोष के तहत मृतकों के परिजनों को 2 लाख रुपए और घायलों को 50 हजार रुपये दिए जाएंगे। वहीं 5 लाख रुपए मध्य प्रदेश सरकार द्वारा पीड़ित परिवारों को शिवराज सरकार देगी। घायलों का निशुल्क इलाज किया जाएगा।राज्य सरकार के दो मंत्री मंत्री तुलसी सिलावट और रामखिलावन पटेल मौके पर पहुंच गए हैं। सीएम एमपी के ट्रांसफोर्ट मिनिस्टर गोविंद सिंह राजपूत और अधिकारियों के साथ हादसे पर मीटिंग कर रहे हैं।  इस हादसे में जितनी गलती ड्राइवर की बताई जा रहीं, उससे कहीं ज्यादा लोग मालिक की गलती मान रहे हैं। आइए जानते हैं कैसे 32 सीटर बस में भरे थे 55 यात्री...

Asianet News Hindi | Published : Feb 16, 2021 11:09 AM IST / Updated: Feb 17 2021, 07:21 AM IST
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सीधी बस हादसे की पूरी कहानी: 32 सीट मे भरे 55 यात्री, ड्राइवर ही नहीं मालिक की भी गलती..51 की मौत

दरअसल, दुर्घटनाग्रस्त बस 32 सीटर थी, लेकिन ड्राइवर और कंडक्टर ने बस की क्षमता से दो गुना यात्रियों को बैठा लिया था। बताया जाता है कि बस को अपने तय समय से सुबह 5 बजे निकलना था, लेकिन ड्राइवर बालेंद विश्वकर्मा ने मालिक के कहने पर दो घंटे पहले ही 3 बजे ही रवाना कर दिया था। ज्यादातर यात्री युवा थे जो रेलवे की परीक्षा देने के लिए सतना जा रहे थे। लेकिन उनको क्या पता था कि आगे मौत उनका इंतजार कर रही है। फिर आगे ट्रैफिक जाम होने के कारण ड्राइवर ने रास्ता बदल लिया और 7 किमी नए रूट पर संकरी सड़क पर गाड़ी को दौड़ाने लगा। रास्ते में किसी ने उससे साइड भी मांगी, लेकिन वह रफ्तार में दौड़ाता रहा, फिर रामपुर के नैकिन इलाके में पटना पुल के पास सुबह करीब साढ़े सात बजे के आसपास बस नहर में जा गिरी।
 

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बस के गिरते ही देखते ही देखते वह गहराई होने के चलते पानी में डूब गई।  नदी का बहाव इतना तेज था कि यात्रियों को संभलने का तक का मौका नहीं मिला। बस के नहर में गिरते ही ड्राइवर बालेंद विश्वकर्मा ने तैरकर अपनी जान बचा ली। हादसे का जिम्मेदार ड्राइवर मूल रुप से रीवा जिले के हरदुया सेमरिया गांव का रहने वाला है। बताया जाता है कि आए दिन वह बस की क्षमता से ज्यादा यात्रियों को बैठाकर बस चलाता था। ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी मालिक को नहीं थी, लेकिन ज्यादा पैसे कमाने के चक्कर में उसने भी इसको अनदेखा कर दिया। अब उनकी इन गलतियों की वजह से 45 जिंदगियां खत्म हो गईं। 
 

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जल्दी पहुंचनने के चक्कर में बस ड्राइवर ने अपना रूट बदल लिया था। जबकि इस रूट पर बस को चलने की परमिशन ही नहीं थी। इस मामले पर यहां से  पूर्व लोकसभा प्रत्याशी शशांक सिंह ने कहा कि बस की परमिशन नहीं थी फिर भी वग दौड़ रही थी। यह लापरवाही मालिक-ड्राइवर के साथ साथ सतना RTO की भी है। सतना RTO को तत्काल सस्पेंड कर देना चाहिए। हालांकि, प्रदेश के परिवहन मंत्री गोविंद राजपूत ने ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को इस हादसे की जांच के साथ परमिट रद्द कर करने के आदेश दे दिए हैं।

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बता दें कि यह जबलानाथ परिहार ट्रेवल्स की थी, जिसका बस क्रमांक Mp19p 1882 है। बस के मालिक कमलेश्वर सिंह हैं। जांच में सामने आया है कि बस की फिटनेस 2-5-21 तक है और वहीं बस का परमिट 12-5-25 तक का है। क्षमता से ज्यादा यात्रियों को बैठाने की जानकारी बस मालिक कमलेश्वर सिंह पहले से थी, लेकिन उन्होंने कोई एक्शन नहीं लिया।
 

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