जांच में सामने आया है कि शिरनी इतनी शातिर थी कि वह पहले तो अखबारों में महिला उत्पीड़न, जमीनी विवाद, घरेलू हिंसा, श्रमिक शोषण पुलिस द्वारा शिकायत दर्ज न करने जैसे मामलों में आवाज उठाने का दावा करने वाले पंपलेट बंटवाती थी।बाद में पीड़ित महिलाओं को मदद करने का कहती। जब महिलाएं उसके पास आने लगती तो वो परिवार वालों की शिकायत पुलिस में कराने का कहती। इसके बाद केस को समझौता करने के आधार पर आरोपी परिवार से ब्लैकमेलिंग शुरू कर देती।