इंदौर में सब्जीवाले की बेटी बनी जज, रिजल्ट लेकर सबसे पहले मां के ठेले पर पहुंची लाडली

इंदौर (मध्य प्रदेश). कहते हैं कुछ करने की चाहत और कर गजुरने का जज्बा हो तो आप कठिन से कठिन परिस्थिति में भी कामयाबी पा ही लेते हैं। इंदौर में सब्जी बेचने वाले परिवार की बेटी ने कुछ ऐसा ही कमाल किया है। इनकी सफलता के चर्चे हर तरफ हो रहे हैं। क्योंकि सब्जी बेचने वाले की बेटी सिविल जज एग्जाम पास कर जज जो बन गई है। एससी कोटे में 5वां स्थान प्राप्त किया है। पढ़िए कामयाबी की कहानी, दिन में बेचती सब्जी और रात में करती पढ़ाई..

Asianet News Hindi | Published : May 5, 2022 11:31 AM IST / Updated: May 05 2022, 06:18 PM IST
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इंदौर में सब्जीवाले की बेटी बनी जज, रिजल्ट लेकर सबसे पहले मां के ठेले पर पहुंची लाडली

सफलता के शिखर तक पहुंचने वाली यह बेटी 25 साल की अंकिता नागर है। बुधवार को जैसे ही ऑनलाइन रिजल्ट उसके हाथ आया तो वो खुशी से झूम उठीं। वह पास हो चुकी थी। सड़क किनारे सब्जी बेंज रही मांग को उसने सबसे पहले यह गुड न्यूज दी।

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बता दें, अंकिता नागर के माता-पिता सब्जी बेचते हैं। वह खुद पढ़ाई के बाद मां के साथ सब्जी बेचने के लिए जाती है। अंकिता ने बताया- रिजल्ट एक हफ्ते पहले जारी हो गया था, लेकिन परिवार में मौत हो जाने के कारण सभी इंदौर से बाहर थे। घर में गम का माहौल था। इसलिए किसी को इस बारे में नहीं बताया था।

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अंकिता ने बताया- मेरा परिवार सब्जी बेचता है। इसी से हमारे घर का खर्च चलता है। पापा सुबह 5 बजे उठकर मंडी जाते हैं। मम्मी सुबह 8 बजे दुकान लगाने के लिए ठेला लेकर सड़क किनारे पहुंच जाती हैं। बड़ा भाई आकाश रेत मंडी में मजदूरी करता है। छोटी बहन की शादी हो चुकी है, पढ़ाई के चलते मैंने शादी नहीं की, माता-पिता ने भी इसमें मेरा सहयोग किया। अगर वह मेरा सपोर्ट नहीं करते तो शायद यहां तक नहीं पहुंच पाती।

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बेटी की इस सफलता पर अंकिता के पापा अशोक नागर ने बताया- मेरी खुशी का ठिकाना नहीं है। पूरे परिवार ने संघर्ष का सामना किया। हम आर्थिक संकट से भी गुजरे क्योंकि सब्जी में ज्यादा कमाई नहीं है फिर भी हमने थोड़ा-थोड़ा पैसा बचाकर बच्चों को पढ़ाया। मैं तो यही कहूंगा कि बेटे और बेटी में फर्क नहीं करना चाहिए।

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अंकिता ने बताया- वह पिछले तीन साल से सिविल जज बनने की तैयारी कर रही है। दो बार सिलेक्शन नहीं होने के बाद भी माता-पिता ने कुछ नहीं कहा। उल्टा जब मैं निराश हो जाती तो वह हौसला दिलाते रहे। आसपास के लोग शादी की बात करते तो माता-पिता कह देते थे कि अभी वह पढ़ाई कर रही है।

अंकिता ने कहा, उनके घर में कमरे बहुत छोटे हैं। परिवार की हालत इतनी ठीक नहीं कि वह कहीं और जगह रह सकें। गर्मी के समय में भी मैंने छत पर बैठकर पढ़ाई की है। गर्मी देख भाई ने अपनी मजदूरी से रुपए बचाकर कुछ दिन पहले ही एक कूलर दिलवाया है। मेरे परिवार ने जो कुछ मेरे लिए किया उसके लिए धन्यवाद कहने के लिए शब्द नहीं है।  बता दें कि अंकिता ने 2017 में इंदौर के वैष्णव कॉलेज से LLB किया। 2021 में LLM की परीक्षा पास की है।

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