सेना में अफसर बना भोपाल का बेटा, सुनिए एक लेफ्टिनेंट की जुबानी..कैसे कोरोना ने बदल दी आर्मी की आदतें

भोपाल (मध्य प्रदेश). कोरोना के कहर के बीच भोपाल के एक दुबे परिवार के लिए खुशियों की खबर आई है। जहां उनका बेटा भारतीय सैन्य अकादमी  में एक साल की कड़ी ट्रेनिंग लेने के बाद भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बन गया है। लेकिन उनको दुख इस बात का है कि वह अपने बेटे की  पासिंग आउट परेड में शामिल नहीं हो पाए। हालांकि परिवार ने नेशनल टीवी पर लाइव इस प्रोग्राम को देखा।

Asianet News Hindi | Published : Jun 13, 2020 9:31 AM IST / Updated: Jun 13 2020, 03:24 PM IST
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सेना में अफसर बना भोपाल का बेटा, सुनिए एक लेफ्टिनेंट की जुबानी..कैसे कोरोना ने बदल दी आर्मी की आदतें

दरअसल, भोपाल के रहने वाले अनुज दुबे का चयन पिछले साल यूपीएससी से एनडीए खड़गवासला के लिए हुआ था। इसके लिए उन्होंने एक साल की अब ट्रेनिंग भी पूरी कर ली है। जहां वह शनिवार को भारतीय सेना की तरफ से हुई पासिंग आउट परेड मे शामिल हुए। जिसके बाद सेना के अफसरों ने अनुज के कंधों पर स्टार लगाए। इस तरह वो आर्टिलरी रेजीमेंट में लेफ्टिनेंट बन गए।

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बता दें कि भोपाल के गुलमोहर कॉलोनी में रहने वाले दुबे परिवार के दो बेटों का एक साल के अंदर सेना में चयन हुआ है। पिछले साल अभिलाष दुबे के बेटे आदित्य दुबे भी आर्टिलरी रेजिमेंट्स में लेफ़्टिनेंट बने हैं। तो वहीं इस साल अनुपम और अंजू दुबे के बेटे अनुज भी लेफ्टिनेंट बन गए हैं। आदित्य की इस समय सिक्किम में तैनात हैं तो अनुज तैनाती सीधे सियाचिन में दी जा रही है। ( अपनी मां अंजू दुबे और चचेरे भाई आदित्य दुबे के साथ अनुज)

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एक वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में अनुज ने कहा- आईएमए के 87 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ, जब कैडेट की इस परेड में उनके माता-पिता शामिल नहीं हुए। अनुज ने कहा-मैं एक साल से यही सोच रहा था कि माता-पिता आएंगे और मेरे कंधों पर सितारे लगाएंगे। लेकिन कोरोना वायरस ने सारे सपनों पर पानी फेर दिया जिसकी वजह से मम्मी-पापा और परिवार के लोग यहां नहीं आ पाए। खैर कोई बात नहीं सेना के अफसर और मैडम ने मेरे कंधों पर स्टार लगा दिए। अनुज का कहना है कि पासिंग परेड के बाद 15-20 दिन की छुट्टी दी जाती है, जिससे वह अपने परिवार से मिल सकें। लेकिन इस बार कोरोना वायरस के चलते सीधे तैनाती दी जा रही है। (अपने माता-पिता के साथ अनुज)

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अनुज ने कहा- पासिंग परेड करते वक्त हर सैनिक ने अपने हाथ में ग्लव्स और चेहरे पर मास्क लगाया हुआ था। इससे पहले परेड के लिए  10 ग्रुप बनाए जाते थे और दो कैडेट्स के बीच में 0.5 मीटर की दूरी होती थी, लेकिन इस बार दो कैडेट्स के बीच में 2 मीटर की रखी गई। इस तरह के बदलाव कोरोना संक्रमण को देखकर किया गया। (मां और भाई अंकुर दुबे के साथ अनुज)

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अनुज ने कहा-मेरी इस कामयाबी के पीछे मेरे बड़े भैया अंकुर का हाथ है। बचपन में हम दोनों देश पर बनने वाली फिल्में एक साथ देखते थे तो भैया कहते थे, अनुज तुमको भी सेना में अफसर बनना है। बस वहीं सेना में जानने का जुनून आया और मैंने भी ठान लिया कि अब मैं भी इंडियन आर्मी में जाकर रहूंगा। (अनुज दुबे, अपने चचेरे भाई आदित्य दुबे और मां के साथ।)

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