ये पढ़ाते थे शिवराज को अंग्रेजी, गुरुदक्षिणा के रूप में मिला इतना बड़ा सम्मान

भोपाल, मध्य प्रदेश. हर सफलता के पीछे गुरु का बड़ा रोल होता है। बच्चे का सुनहरा भविष्य गुरु के मार्गदर्शन में ही चमकता है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को इस मुकाम तक पहुंचाने में उनके स्कूल के शिक्षकों का योगदान भी नहीं भूला जा सकता है। यह हैं शिवराज सिंह चौहान को स्कूल में अंग्रेजी पढ़ाने वाले शिक्षक लक्ष्मीनारायण त्यागी। ये भोपाल के टीटी नगर मॉडल स्कूल में अंग्रेजी के टीचर थे। ये 2005 में रिटायर हो गए थे। शिवराज सिंह चौहान 1976 तक इनके विद्यार्थी रहे। शिवराज के इतने बड़े मुकाम तक पहुंचने के बावजूद शिक्षक ने कभी गुरुदक्षिणा नहीं मांगी। बल्कि वे हमेशा यही कहते रहे कि उनका शिष्य इतने ऊंचे ओहदे पर है, यह उनकी गुरुदक्षिणा है।  5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाएगा..इसी मौके पर पढ़िए एक शिक्षकों की प्रेरक कहानी...

Asianet News Hindi | Published : Sep 4, 2020 8:16 AM IST
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ये पढ़ाते थे शिवराज को अंग्रेजी, गुरुदक्षिणा के रूप में मिला इतना बड़ा सम्मान

करीब 38 साल तक शिक्षक रहे लक्ष्मीनाराण त्यागी के कई विद्यार्थियों ने ऊंचा मुकाम हासिल किया। शिवराज इनके काफी निकट रहे। जब शिवराज सिंह 11वीं का एग्जाम दे रहे थे, तब मीसाबंदी के दौरान जेल में थे। उन्हें दो पुलिसवाले पकड़कर एग्जाम दिलाने लाते थे। शिवराज सिंह के अनुरोध पर इन्होंने तीन महीने उन्हें अलग से क्लास दी थी।

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रायसेन, मध्य प्रदेश. एक शिक्षक ने अकेले ही गांव के सरकारी स्कूल को आदर्श बना दिया। उनकी यह उपलब्धि लगातार चर्चाओं में है। 15 अगस्त को उन्हें इसी के लिए सम्मानित किया गया था। वहीं, केंद्रीय इस्पात मंत्रालय ने उन्हें अपना ब्रांड एम्बेसडर बनाया है। मंत्रालय के अफसरों ने सोशल मीडिया पर इनके बारे में पढ़ा था। यह हैं नीरज सक्सेना। इनकी सफलता की कहानी इस्पात मंत्रालय ने दिल्ली से एक टीम भेजकर डॉक्यमेंट्री के रूप में फिल्माई है। बच्चों के लिए यह शिक्षक हमेशा आगे रहते हैं। बारिश में स्कूल तक कीचड़ हो जाता है। सड़क नहीं होने से आना-जाना मुश्किल होता है, लेकिन ये शिक्षक 5 किमी पैदल चलकर स्कूल पहुंचते हैं। अकसर वे बैलगाड़ी पर स्कूल का सामान और बच्चों को बैठाकर ले जाते दिख जाते हैं।

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नीरज सक्सेना रायसेन जिले की भोजपुर विधानसभा क्षेत्र के सालेगढ़ स्कूल में पिछले 10 साल से पदस्थ हैं।
 

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उन्होंने अकेले ही इस स्कूल को मॉडल स्कूल में बदल दिया है। नीरज सक्सेना ने स्कूल परिसर में खूब पेड़-पौधे लगाए हैं। जिन पर सामान्य ज्ञान से संबंधित जानकारियों की तख्तियां लटकाई गई हैं। शिक्षक ने करीब 2 एकड़ को हरा-भरा बना दिया है। आगे पढ़िए इन्हीं शिक्षक की कहानी...

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यह स्कूल जंगल में है। यहां आदिवासी गांव के बच्चे पढ़ने आते हैं। स्कूल तक जाने के लिए सड़क नहीं है। लेकिन शिक्षक ने कभी हार नहीं मानी। वे पैदल ही कीचड़ में 5 किमी पैदल चलकर स्कूल पहुंच जाते हैं। कभी-कभार बैलगाड़ी पर ही बच्चों को बैठाकर स्कूल जाते देखे जाते हैं। कुछ समय पहले जब स्कूल तक किताबें ले जाने का कोई साधन नहीं मिला, था तो नीरज सक्सेना बैलगाड़ी लेकर निकल पड़े थे।

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नीरज सक्सेना जब 2009 में इस स्कूल में पोस्टेड हुए थे, तब यहां सिर्फ 15 बच्चे थे। वे भी कभी-कभार ही पढ़ने आते थे। नीरज ने इसके लिए बच्चों के मां-बाप को समझाया। अब इस स्कूल में 94 बच्चे हैं। आगे पढ़िए इन्हीं शिक्षक की कहानी...

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अपने गुरु के इस प्रयास में अब उनके पूर्व छात्र भी मदद कर रहे हैं। जो छात्र अब शहर में हायर एजुकेशन ले रहे हैं, वे लॉकडाउन में बच्चों को घर जाकर पढ़ाते देखे गए।

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