2 किसान आंदोलन में बने समधी, बेटा-बेटी का किया रिश्ता तय, पंडाल को बनाया मंडप और कर दी शादी..

रीवा (मध्य प्रदेश), शादियों का सीजन शुरू हो गया, हर कोई अपनी शादी को खास बनाने के लिए अनोखपन करता है। लेकिन मध्य प्रदेश के रीवा से एक अलग ही तस्वीर सामने आई है, जहां किसान आंदोलन में बने पंडाल को मंडप बनाकर दो किसानों ने अपने बेटा-बेटी की शादी कराई। साथी मीडिया से बात करते हुए कहा कि जब तक सरकार तीनों कृषि कानून वापस नहीं ले लेती वह अपने सारे मांगलिक कार्यक्रम यहीं से करेंगे।

Asianet News Hindi | Published : Mar 18, 2021 2:23 PM IST / Updated: Mar 18 2021, 07:56 PM IST

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2 किसान आंदोलन में बने समधी, बेटा-बेटी का किया रिश्ता तय, पंडाल को बनाया मंडप और कर दी शादी..


आंदोलन में किसान फूल माला लिए खड़े रहे
दरअसल, यह अनोखा नजारा गुरवार के दिन  रीवा में किसान आंदोलन के धरना स्थल पर देखने को मिला। जहां कृषि कानून के विरोध में नारे लगाने वाली जगह पर मंगल गीत गाए गए और डीजे पर डांस किया गया। आंदोलन वाले मंच पर किसान हाथों में फूल माला लिए खड़े थे। जैसे दूल्हा-दुल्हन पहुंचे तो उनपर पुष्प वर्षा करने लगे। जिसके बाद शादी की सारी रस्में निभाई गईं। 

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दोनों समधी किसान 75 दिन से दे रहे हैं धरना
बता दें कि यह शादी मध्य प्रदेश किसान सभा के महासचिव रामजीत सिंह के बेटे सचिन सिंह की शादी थी। जिन्होंने आंदोलन के दौरान ही  किसान विष्णुकांत सिंह की बेटी आसमा के साथ रिश्ता तय कर दिया था। दोनों किसान आंदोलन के चलते रीवा की करहिया मंडी में पिछले 75 दिन से धरना दे रहे हैं। ऐसे में उन्होंने अपने बेटा-बेटी की शादी भी किसान आंदोलन के धरने स्थल से करने से तय कर लिया। कहा कि इससे हमारे किसान भाइयों में एक अच्छा संदेश जाएगा और उनको हिम्मत मिलेगी।

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मंत्रों की जगह ली संविधान की शपथ 
इस शादी में दूल्हा-दुल्हन ने मंत्रों के साथ संविधान की शपथ ली। वहीं संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव आंबेडकर एवं शिक्षा की देवी सावित्री बाई फुले की फोटो के सात फेरे लिए।  दूल्हे के पिता रामजीत सिंह ने कहा कि वह सरकार को यह संदेश देना चाहते हैं कि बिना कानून वापसी आंदोलन से नहीं हटेंगे। अपन हक लेकर ही रहेंगे। उन्होंने बताया कि इस शादी में मैंने कोई दहेज नहीं लिया  है। हम किसान भाईयों को कुरीतियों से भी लड़ना है।

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नहीं छपे कार्ड, तोहफे किसानों को मिलेंगे
इस शादी की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि इसमें मेहमानों को निमंत्रण के लिए कोई कार्ड नहीं छपवाया गया था। साथ ही दूल्हा-दुल्हन को भेंट स्वरूप शादी में जो राशि मिली है, वह आंदोलन कर रहे किसानों दी जाएगी। जिससे आंदोलन ठीक से चलता रहे।

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किसान आंदोलन के मंच पर दूल्हा-दूल्हन एक दूसरे को वरमाला पहनाते हुए।

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