एक्ट्रेस को हुए पैरालिसिस अटैक ने सबकुछ बिकवाया, 2 साल से फिल्ममेकर पति रख रहा करवाचौथ का व्रत

मुंबई. भावुक करने वाली यह कहानी (Emotional story) पिछले 21 साल से फिल्म इंडस्ट्रीज का हिस्सा रहे 'संजय-निशी भाडली' की है। बात फरवरी 2019 की है, जब निशी को पैरालिसिस का अटैक आया था। तब से कपल की जिंदगी ठहर-सी गई है। अभिनेत्री के इलाज पर सारा घर बिक गया। फिर भी पति ने हिम्मत नहीं छोड़ी है। अपनी अर्धांगिनी की सलामती के लिए संजय ने दूसरी साल करवाचौथ का व्रत रखा। इस बीच सोशल मीडिया पर लगातार मदद की अपील की जा रही है। करीब 28 साल तक निशी करवाचौथ का व्रत रखती रहीं, लेकिन पिछले 2 साल से संजय उनके लिए करवाचौथ रख रहे हैं। इस बार भी जब संजय ने 'छलनी से' चांद को निहारा, तो उनकी आंखें नम हो गईं। बता दें कि निशी 14-15 साल की उम्र से अभिनय करती आई हैं। संजय भाडली फिल्म इंडस्ट्री के पुराने हरफनमौला हैं। लेखन, निर्देशक और प्रोडक्शन सभी में उनका खासा दखल रहा है। हालांकि वे स्वीकारते हैं कि काम बहुत किया, हबीब तनवीर जैसे धुंरधरों के साथ थियेटर किया। माइक का आर्टिस्ट हूं। लेकिन जिस मुकाम की तलाश थी, वो अभी तक नहीं मिला। उनकी पत्नी निशी भी टीवी और फिल्म का जाना-पहचाना नाम रही हैं। यह और बात है कि बीमारी ने उनकी जिंदगी का 'ग्लैमर' छीन लिया। याद्दाश्त को भी जर्जर कर दिया। पढ़िए आगे की कहानी...

Asianet News Hindi | Published : Nov 5, 2020 4:52 AM IST

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एक्ट्रेस को हुए पैरालिसिस अटैक ने सबकुछ बिकवाया,  2 साल से फिल्ममेकर पति रख रहा करवाचौथ का व्रत

निशी ने मनोज वाजपेयी, सौरभ शुक्ला, नवाजुद्दीन, विजय राज जैसे चर्चित कलाकारों के साथ थियेटर किया है। निशी ने अपना पहला प्ले दिनेश खन्ना के निर्देशन में लखनऊ में खेला था। दूसरे प्ले में निशी शाहरुख खान की बहन बनी थीं। निशी ने रॉ-वन, एबीसीसीडी-1, थ्री इडियट जैसी कई फिल्मों में सशक्त किरदार निभाए। बीमारी से पहले तक वे स्टार प्लस के सीरियल इश्कबाज और सब टीवी के लोकप्रिय शो-तेनालीरामा के अलावा एक अन्य शो-निशा भाभी के नुस्खे कर रही थीं। लेकिन अचानक सबकुछ पीछे छूट गया। एक्टिंग तो बहुत दूर की बात, वे अब किसी बात पर ठीक से रियेक्ट भी नहीं कर पातीं।
(यह तस्वीर करवाचौथ की है)
 

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संजय बताते हैं-'घटनावाले दिन मैं अपने प्रोडक्शन हाउस में काम रहा था, तभी बेटी उर्वशी का कॉल आया कि मां बाथरूम में फिसल गई हैं। मैं मामले की गंभीरता ठीक से समझ नहीं पाया। जब मैं घर पहुंचा और उन्हें कार से हॉस्पिटल ले जाने लगा, तो कार के गेट पर निशी गिर पड़ीं। उनका पैर मुड़ गया। यह देखकर मैं घबरा गया। रातभर एक हॉस्पिटल से दूसरे हॉस्पिटल तक घूमता रहा, लेकिन कहीं भी प्रॉपर जांचें नहीं हो सकीं। बाद में एक हॉस्पिटल पहुंचा, तब मालूम चला कि निशी को पैरालिसिस का अटैक आया था।'
(यह तस्वीर इसी करवाचौथ की है, जिसे संजय ने अपने फेसबुक पर शेयर किया है)

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काश! मैं भूल नहीं करता..
संजय यह बताते हुए भावुक हो उठे कि काश! वे समय पर निशी को समय पर हॉस्पिटल में एडमिट करा देते, तो शायद यह दिन नहीं देखने पड़ते। संजय के मुताबिक,' निशी को डायबिटीज थी। हालांकि पिछले कई सालों से वो कंट्रोल में है। इसलिए मैंने सबसे पहले उसे डायबिटीज का इलाज करने वाले डॉक्टर को दिखाया। हालांकि जब तबीयत बिगड़ी, तब दूसरे डॉक्टर के पास ले गए। उन्होंने सलाह दी थी कि मैं निशी को फौरन किसी हॉस्पिटल में एडमिट कर दूं। क्योंकि उसका थायरॉयड, कोलेस्ट्राॅल आउट ऑफ कंट्रोल हो गया था। लेकिन मैंने देर कर दी। काश! मैं यह भूल नहीं करता।'

(यह तस्वीर निशी और उनकी बेटी है, राइट में संजय ने पिछले साल भी करवाचौथ का व्रत रखा था)

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बेटी बनी मां की परछाई, पति को छोड़ना पड़ा काम
संजय के दो बच्चे हैं। उर्वशी के अलावा बेटा जय। मां की देखभाल के लिए बेटी उनकी परछाई बन गई है। हालांकि यह बताते हुए संजय मायूस नजर आए कि बेटी को 9th क्लास के बाद ड्राप लेना पड़ गया। संजय खुद भी सारा काम-धंधा छोड़कर निशी का ख्याल रख रहे हैं। संजय कहते हैं-' पैरालिसिस अटैक के बाद तो निशी किसी को पहचान भी नहीं रही थी। मुझे भी नहीं। यह मेरे लिए एक सदमा था। हालांकि अब पहचानने लगी है।'  संजय और निशी दोनों मूलत: दिल्ली से हैं। लेकिन अब लंबे समय से मुंबई में बस गए हैं।
(संजय और उनकी बेटी)

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इस कपल को देखकर यूं लगता है कि मानों पैरालिसिस ने केवल पत्नी पर नहीं, पूरी फैमिली पर अटैक किया हो। घर-परिवार सबकुछ हिल गया है। संजय और निशी की शादी 1991 में हुई थी। इनकी मुलाकात दिल्ली में थियेटर करते समय हुई थी। यह लव-अरेंज मैरिज है। 

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40 हजार करोड़ की इंडस्ट्री में कोई सगा नहीं..
संजय कहते हैं-'हमारी फिल्म इंडस्ट्री 40 हजार करोड़ रुपए के करीब होगी, लेकिन ग्लैमर की इस भीड़ में कोई किसी का अपना नहीं। संकट में खून के रिश्तों ने भी मुंह फेर लिया।' संजय को इसका कोई अफसोस नहीं। हालांकि संजय को इस बात का संतोष है कि इस मुसीबत में कुछ दोस्त हमेशा उनके साथ खड़े दिखते हैं। वे निशी के मुंहबोले भाई रूपेश सोनार और अपने भाई समान दोस्त अर्जुन नारायण का जिक्र करना नहीं भूलते।
(संजय, निशी और उनकी बेटी)

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 संजय बताते हैं-'निशी हमेशा फिल्म इंडस्ट्री में संघर्ष कर रहे बच्चों की मदद करती रही। हम दोनों एक एक संस्था का प्लान भी बना रहे थे, जो अपने सपने लेकर मुंबई आने वाले बच्चों को गाइड करे, उनकी मदद करे। ईश्वर ने चाहा, तो हम दोनों फिर से इस प्लान पर काम करेंगे।' आखिर में संजय कहते हैं-'ईश्वर की यही मर्जी होगी..आगे भी वही होगा, जो भगवान चाहेगा।' हालांकि संजय के मन में उम्मीद की एक ज्वाला हमेशा जलती रहती है कि कुछ अच्छा होगा। यही हौसला पूरे परिवार का संबल बना हुआ है।

(जैसा कि उन्होंने संजय भाडली ने अमिताभ बुधौलिया को बताया था)

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