आदित्य ने बनाया रिकॉर्ड, तो दूसरी बार हारी एक्ट्रेस..जानें महाराष्ट्र की 20 VVIP सीट पर कौन हारा; कौन जीता
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं, जिसमें बीजेपी ने अपनी उम्मीदों के उलट बहुत कम सीटों पर जीत हासिल की है। शिवसेना ने भी सीटों पर चुनाव जीता।
Asianet News Hindi | Published : Oct 24, 2019 11:10 AM IST / Updated: Oct 24 2019, 06:23 PM IST
अजित पवार बारामती सीट से चुनाव लड़ रहे थे। चुनाव से पहले ही उन्होंने विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया। चर्चा यह भी उड़ी कि अजित नाराज हैं और इस बार विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगे। यह भी कहा गया कि घर में ही अनबन है। पर अजित चुनाव में शामिल हुए। पार्टी का जमकर कैम्पेन भी किया और कामयाबी हासिल की।
अशोक चव्हाण महाराष्ट्र के पूर्व मुख्मंयत्री शंकरराव चव्हाण के बेटे हैं। राज्य में मुख्यमंत्री बनने वाली ये पिता-पुत्र की इकलौती जोड़ी है। अशोक चव्हाण को आदर्श हाउसिंग घोटाले में नाम आने के बाद मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ा था। दिग्गज नेता को हाल ही में लोकसभा चुनाव में हार का सामना भी करना पड़ा।
छगन भुजबल राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम और दिग्गज नेता रहे हैं। एक घोटाले की वजह से इन्हें जेल में भी रहना पड़ा। इस दिग्गज नेता ने शिवसेना के जरिए राजनीतिक शुरुआत की थी। कभी बाल ठाकरे के बेहद करीबी थे, मगर बाद में शरद पवार के साथ कांग्रेस और एनसीपी में रहे।
शरद पवार के बाद देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के दूसरे सबसे यंगेस्ट मुख्यमंत्री हैं। देवेंद्र 27 साल की उम्र में नागपुर म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन के मेयर बने थे। 29 साल की में विधायक और 44 साल की उम्र में मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड बनाया। मुख्यमंत्री बनने से पहले बीजेपी का ये दिग्गज नेता पार्टी की राज्य इकाई का अध्यक्ष भी रहा।
मंगलप्रभात लोढ़ा जाने माने बिल्डरों में शुमार किए जाते हैं। 2019 में जीत के साथ इन्होंने मालाबार हिल्स विधानसभा से लगातार छठवीं बार विधायक बनने का रिकॉर्ड बनाया। लोढ़ा के पास 400 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति है।
महाराष्ट्र में सुपर कॉप के रूप में मशहूर प्रदीप शर्मा ने 100 से ज्यादा एनकाउंटर किए हैं। एक मामले में उन्हें जेल भी जाना पड़ा। चुनाव में सुपर कॉप के कई बयानों पर विवाद हुए।
महाराष्ट्र में रोहिणी खड़से की हार सबसे बड़ा उलटफेर है। उनके पिता एकनाथ खड़से इसी विधानसभा सीट से छह बार विधायक बनते रहे। भाभी रावेर लोकसभा से सांसद हैं। लेकिन पिता की जगह पार्टी के लिए चुनाव लड़ने वाली रोहिणी को हार का सामना करना पड़ा। कानून की पढ़ाई करने वाली रोहिणी जलगांव जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक की अध्यक्ष भी हैं।
विजय वाडेट्टीवार कांग्रेस के दिग्गज नेता हैं। एक बार फिर विधानसभा का चुनाव जीतने में कामयाब रहे।
दीपाली सैय्यद राकांपा के कद्दावर नेता जितेंद्र आव्हाड से हार गई हैं। दीपाली सैय्यद मराठी की मशहूर अभिनेत्री हैं। कई फिल्मों और सीरियल में नजर आ चुकी हैं।किनका मूल नाम दीपाली भोंसले है। जन्म बिहार के पटना में हुआ, लेकिन पूरा बचपन मुम्बई में गुजरा। चुनाव के दौरान जीतेंद्र आव्हाड ने कहा था- "वे मेरी बहन हैं और चुनाव के बाद मैं मेरी बहन को बाइज्जत उसके ससुराल के लिए विदा करूंगा।"
गिरीश महाजन जामनेर विधानसभा से लगातार छठवीं बार विधायक बने हैं। महाजन ने छात्र राजनीति से शुरुआत की थी। 1978 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्य बने। 54 साल का यह मराठा पाटिल नेता पहली बार बीजेपी के टिकट पर 1995 में विधायक बना था। तबसे से लेकर 2019 तक वो लगातार विधानसभा चुनाव जीतते आ रहे हैं।
43 साल के अमित देशमुख कांग्रेस के वाइस प्रेसिडेंट रह चुके हैं। 2009 में पहली बार कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा का चुनाव जीता। तब उन्होंने 89 हजार से ज्यादा मतों से जीत हासिल की थी। ये महाराष्ट्र के इतिहास में चौथी सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड है। इस चुनाव में पहली बार इनके छोटे भाई धीरज देशमुख भी पार्टी के टिकट पर खड़े हुए और कामयाबी हासिल की।
चंद्रकांत पाटिल मिल मजदूर के बेटे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह से लेकर देवेंद्र फडणवीस तक, सभी के भरोसेमंद माने जाते हैं। उन्हें महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य में पार्टी कमान सौंपी गई है। पाटिल को संगठन कुशलता के लिए भी जाना जाता है। पाटिल ने मुंबई में पढ़ाई लिखाई पूरी की है।
जयकुमार को बीजेपी के जोशीले नेताओं में गिना जाता है। भाजयुमो के जरिए राजनीति में आए 44 साल के इस नेता का नाम कई विवादों से भी जुड़ा। इसमें से एक चर्चित मामला महाराष्ट्र विधानसभा परिसर में पुलिस अफसर के साथ मारपीट का है। इस मामले में रावल के साथ पांच विधायकों पर साल भर के सस्पेंशन की कार्रवाई भी हुई थी। हालांकि बाद में पांचों निलंबित विधायकों पर से प्रतिबंध हटा दिया गया था।
37 साल के नीतेश राणे 2014 में यहां से कांग्रेस के टिकट पर 25 हजार मतों की मार्जिन से चुनाव जीतने में कामयाब हुए थे। इस बार बीजेपी की ओर से मैदान में हैं। शिवसेना से रार की वजह से उनके पिता नारायण राणे को यहां काफी पसीना बहाना पड़ा। राणे कभी शिवसेना में ही थे। लेकिन 2005 में उन्होंने पार्टी छोड़कर कांग्रेस जॉइन कर लिया था। कांग्रेस में जाने के बाद नारायण राणे ने उद्धव को निशाने पर ले लिया था। तभी से दोनों के बीच अनबन है।
40 साल की कद्दावर महिला नेता की राजनीतिक शुरुआत बीजेपी के यूथ विंग से हुई थी। 2012 में पंकजा महाराष्ट्र यूनिट की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। इन्होंने 2009 में पार्टी के टिकट पर बीड जिले से पहला चुनाव लड़ा और कामयाबी हासिल की। दूसरी बार 2014 में भी चुनाव जीतने में कामयाब रहीं। लेकिन तीसरी बार चचेरे भाई एनसीपी उम्मीदवार धनंजय मुंडे के हाथों हार का सामना करना पड़ा। पंकजा की दो बहनें हैं, प्रीतम मुंडे और यशश्री। प्रीतम मुंडे भी बीजेपी की सांसद हैं।
दिग्गज नेता ने विधानसभा चुनाव में कामयाबी हासिल की है। इनके पिता दाजीसाहब चव्हाण कराड़ लोकसभा सीट से सांसद रहने के साथ ही 1957 से 1973 तक जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे। बाद में 1973, 1977, 1984, 1989 और 1991 तक इनकी मां यहां से सांसद रहीं। मां के निधन के बाद पहली बार उपचुनाव जीतकर पृथ्वीराज सांसद बने थे। कराड़ से पृथ्वीराज चव्हाण ने 1998 तक लगातार तीन बार चुनाव जीता। यूपीए की सरकार में मंत्री भी बने। पृथ्वीराज चव्हाण के दो बच्चे हैं जिनके नाम अंकिता और जय हैं।
हाल ही में कांग्रेस से इस्तीफा देकर राधाकृष्ण बीजेपी में शामिल हुए थे और अब विधानसभा चुनाव भी जीत गए हैं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बने। राधाकृष्ण पिछले ढाई दशक से विधानसभा में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। 1995 में पहली बार विधायक बने थे। तब से 2019 तक विधानसभा का कोई चुनाव नहीं हारा है। इनके पुत्र सुजय विखे पाटिल अहमद नगर सीट से बीजेपी के सांसद हैं।
प्रणीति शिंदे राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार शिंदे की बेटी हैं। इन्होंने एक बार फिर सोलापुर से विधानसभा का चुनाव जीत लिया है। मुंबई के सेंट जेवियर्स से पढ़ी लिखी प्रणीति शिंदे का एक एनजीओ है, जिसके माध्यम से वो सोशल वर्क करती हैं।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के युवा नेता और शरद पवार के परपोते, रोहित पवार भी पार्टी के टिकट पर कर्जत-जामखेड़ से चुनाव जीत गए हैं। दो साल पहले ही ये युवा नेता बारामती तालुका के जिला परिषद चुनाव में उतारा था और कामयाबी हासिल की थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में रोहित ने हिस्सा नहीं लिया था, मगर पार्टी के अभियान में स्टार प्रचारक की तरह शामिल हुए थे। खासकर मावल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे अपने चचेरे भाई पार्थ पवार के लिए जमकर प्रचार किया। रोहित पवार बारामती एग्रो लिमिटेड नाम की एक कंपनी का सीईओ भी हैं।