कैसे एक बेरोजगार के प्यार में पागल हुई अमीर बाप की बेटी, वायरल हुई बुजुर्ग आशिक की लव स्टोरी

मुंबई. पति-पत्नी का रिश्ता हमने सात जन्मों का सुना है लेकिन असलियत में ऐसे उदाहरण कम ही देखने को मिलते हैं। एक ऐसा रिश्ता जो सुख-दुख में बराबर और मजबूत बना रहा हो। पर मुंबई से एक बुजुर्ग शख्स ने यादों के झरोंखे से बरसों पहले की अपनी लव स्टोरी जब याद की तो सैकड़ों प्यार भले पल खिलखिला उठे। ये कहानी है मुंबई में रहने वाले एक बुजुर्ग दंपति की है जिन्होंने 75 साल तक एक-दूसरे का साथ निभाया। उनकी बेमिसाल लव स्टोरी आज हर कोई सुनना चाहता है क्योंकि अमीर बाप की बेटी को भगाकर ले आने वाला ये शख्स पत्नी के लिए समर्पित पति ही नहीं बुढ़ापे में भी उन्हें दिलो-ओ-जान से चाहने वाला आशिक भी है। 

Kalpana Shital | Published : Dec 15, 2019 2:56 PM IST / Updated: Dec 16 2019, 12:21 PM IST

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कैसे एक बेरोजगार के प्यार में पागल हुई अमीर बाप की बेटी, वायरल हुई बुजुर्ग आशिक की लव स्टोरी
मुंबई के रहने वाले बुजुर्ग ने अपनी प्रेम कहानी साझा की है। वह बताते हैं कि, वो 19 साल की थी जब हम अरेंज मैरिज के सिलसिले में मिले थे रिश्ता तो पक्का नहीं हुआ लेकिन हमारे दिल जुड़ चुके थे। बुजुर्ग की पत्नी के परिवार के मुताबिक लड़के की हैसियत नहीं थी कि वो लड़की की शादी वहां कर देते। पर वे दोनों मिलने और बात करने लगे।
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बुजुर्ग ने सोचा कि मैं मुंबई जाकर हमारी शादी के लिए ससुर जी को मनाने के लिए कुछ काम-धंधा करता हूं। उनकी पत्नी ने कहा कि, मैं भी साथ चलूंगी और परिवार के खिलाफ जाकर कोर्ट मैरिज कर ली और मुंबई भाग आए।
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वो एक अमीर बाप की बेटी थी फिर भी मेरे साथ खाली हाथ एक अनजान शहर आ गई। मुझे खुद को नहीं पता था जिंदगी में क्या करना है, पैसा कमाने नौकरी का कोई आइडिया नहीं लेकिन उसका विश्वास मुझमें हिम्मत झोंक देता। हम एक छोटे से रूम में रहने लगे, बड़ी मुश्किल से गुजारा होता, मैंने हैंडलूम का काम शुरू कर दिया और वह घर में पापड़ बनाकर मोहल्ले में बेचने लगी।
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पैसों की तंगी होने पर वो दिन-रात काम करती और घर खर्च संभाल लेती। उसने एक बार भी मुझसे किसी चीज की डिमांड या शिकायत नहीं की। वो दिन भी आए जब काम में घाटा होने पर हमने गरीबी देखी, हमारी हैसियत एक गिलास दूध खरीद पाने की हो गई, पर हम सब शेयर करते थे, एक रोटी के चार टुकड़े होते बच्चे, वो और मैं मिलकर खाते। हम चाय के कप से लेकर ताश के पत्तों तक सब शेयर करते।
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ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे को उन्होंने बताया कि, इतनी लंबी जिंदगी में मैं एक बार ही अपनी धर्मपत्नी और बच्चों को ट्रिप पर घुमा पाया। हरिद्वार ट्रिप पर वो बहुत खुश थी फोटोज लेती रही, हम हाथों में हाथ डाले सारा शहर घूमें और बुढ़ापे में हम एक दूसरे का हमसाया बन गए। बढ़ती उम्र में हम पार्क में साथ घूमते, बिल्डिंग के नीचे बैठते, रोज रात को कई राउंड ताश खेलते और हर बार वो मुझे हरा देती। 73 साल की उम्र में वो बीमार रहने लगी, उसके खाने-पीने, नहाने से लेकर बाथरूम तक करवाने की जिम्मेदरी मेरी थी।
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उस समय हम और करीब आ गए हमारा प्यार जैसे अमर सा हो गया। 75 की उम्र में हमारा साथ छूट गया और वो वहां चली गई जहां से कोई लौटकर नहीं आता। जिस दिन से उसका देहांत हुआ है, मैं हर जगह जाता हूं जहां पहले हम घूमते थे लेकिन ताश के पत्तों को हाथ नहीं लगाया।
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बुजुर्ग शख्स का कहना है कि, मैं जानता हूं हम वहां जरूर मिलेंग बस मुझे जाना है वो जन्नत में मेरा इंतजार कर रही है। वहीं ताश खेलेंगे पुराने ओपेरा शो देखेंगे बस मलाल इस बात का है वो मुझे छोड़कर सबसे बड़ा दुख देकर वो मुस्कुराहट छीन ले गई जो उसने मुझे दी थी।
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