घाटकोपर (महाराष्ट्र), पूरे देश में कोरोना की दूसरी लहर बेकाबू हो गई है। किसी को अस्पताल में बेड नहीं मिल रहा तो किसी को ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है । हालांकि इस विनाशकारी दौर में लोग कंधे से कंधा मिलाकर मदद कर रहे हैं। ऐसी ही एक मानवता की अनोखी मिसाल महाराष्ट्र के एक अंग्रेजी टीचर पेश कर रहे हैं। वह ऑटो रिक्शा चलाने में लगे हुए हैं। वे किसी आर्थिक मजबूरी के कारण ऐसा नहीं कर रहे हैं, बल्कि कोरोना मरीजों को समय पर हॉस्पिटल पहुंचाने के लिए ऑटो चला रहे हैं। ताकि किसी की एंबुलेंस के अभाव में जान नहीं जाए। इतना ही नहीं वह मरीजों या उनके परिजनों से इसका कोई पैसा भी नहीं लेते हैं। उनका कहना है कि मानव सेवा को कोई मोल नहीं होता है।