देश का असली हीरो: कोरोनाकाल में अंग्रेजी टीचर बना ऑटो ड्राइवर, मरीजों को अपने पैसे ले जाता अस्पताल

घाटकोपर (महाराष्ट्र), पूरे देश में कोरोना की दूसरी लहर बेकाबू हो गई है। किसी को अस्पताल में बेड नहीं मिल रहा तो किसी को ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है । हालांकि इस विनाशकारी दौर में लोग कंधे से कंधा मिलाकर मदद कर रहे हैं। ऐसी ही एक मानवता की अनोखी मिसाल महाराष्ट्र के एक अंग्रेजी टीचर पेश कर रहे हैं। वह ऑटो रिक्शा चलाने में लगे हुए हैं। वे किसी आर्थिक मजबूरी के कारण ऐसा नहीं कर रहे हैं, बल्कि कोरोना मरीजों को समय पर हॉस्पिटल पहुंचाने के लिए ऑटो चला रहे हैं। ताकि किसी की एंबुलेंस के अभाव में जान नहीं जाए। इतना ही नहीं वह मरीजों या उनके परिजनों से इसका कोई पैसा भी नहीं लेते हैं। उनका कहना है कि मानव सेवा को कोई मोल नहीं होता है।

Asianet News Hindi | Published : May 2, 2021 5:43 AM IST
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देश का असली हीरो: कोरोनाकाल में अंग्रेजी टीचर बना ऑटो ड्राइवर,  मरीजों को अपने पैसे ले जाता अस्पताल


दरअसल, यह अंग्रेजी टीचर दत्तात्रय सावंत हैं, जो कि मुंबई के घाटकोवर के रहने वाले हैं। वह इस मुश्किल घड़ी में कोविड पीड़ितों की मदद के लिए आगे आए हैं। मरीजों को मुफ्ट में घर से अस्पताल और अस्पताल से घर मुफ्त में छोड़ते हैं। वह अब तक दर्जनों  मरीजों को मुफ्त में अस्पताल तक पहुंचा चुके हैं। हर कोई उनके इस काम की सराहना कर रहा है।

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बता दें कि टीचर दत्तात्रेय लोगों की मदद करने के दौरान अपना भी ध्यान रखते हैं। वह समय-समय पर अपने ऑटो को सैनिटाइज करते हैं और हर समय पीपीई किट पहने होते हैं। रोजाना सुबह 6 बजते ही अपना घर छोड़ देते हैं। साथ में टिफिन लेकर आते हैं, लेकिन कई बार तो उनको खाना खाने का भी वक्त नहीं मिल पाता है।

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दत्तात्रय सावंत का कहना है कि ''देश में जब तक ये कोरोना रहेगा, मेरी सेवा जारी रहेगी। देश इस वक्त बुरे दौर से गुजर रहा है,  हर जगह से दिल को दर्द देने वाली खबरें आ रही है। कोई अस्पताल के लिए तड़प रहा है तो कोई ऑक्सीजन नहीं मिलने से दम तोड़ रहा है। सरकारी एंबुलेंस मिल नहीं पा रही है। अगर कोई निजी एंबुलेंस करता है तो उसका किराया इतना ज्यादा है कि गरीब उसे चुकाने में मजबूर है। इसलिए मैं उनको सही समय पर केयर सेंटर्स और अस्पतालों में मुफ्त पहुंचाता हूं।

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बता दें कि दत्तात्रय सावंत घाटकोपर के श्री सावंत ज्ञानसागर विद्या मंदिर स्कूल में अंग्रेजी पढ़ाते हैं। वह कोरोनाकाल में बच्चों की ऑनलाइन क्लास भी ले रहे थे। लेकिन उनको लगा कि इस वक्त पढ़ाने से ज्यादा जुरूरी लोगों की जिंदगी बचाना है। इसलिए वह ऑटो लेकर लोगों की बचाने निकल पड़ते हैं। आप तस्वीर में देख सकते है ंकि उन्होंने अपने ऑटो के पीछे यह संदेश भी लिख रखा है।

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