मलबे में दबे थे मां-बेटे, अपना दर्द भूलकर देती रही दिलासा, फिर भी ताउम्र रहेगा अफसोस

मुंबई के डोंगरी इलाके में मंगलवार को 4 मंजिला इमारत ढहने से हुई थी 14 लोगों की मौत। हादसे में अलीमा और उसके दो बेटे भी दब गए थे। रेस्क्यू के दौरान अगले दिन सुबह मां को तो बचा लिया गया, लेकिन बेटों की मौत हो गई।

Sushil Tiwari | Published : Jul 18, 2019 7:09 AM IST

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मलबे में दबे थे मां-बेटे, अपना दर्द भूलकर देती रही दिलासा, फिर भी ताउम्र रहेगा अफसोस
मुंबई. मंगलवार को यहां डोंगरी इलाके में करीब 100 साल पुरानी 4 मंजिल इमारत गिरने से कइयों के सपने टूट गए, कई परिवार बिखर गए। रेस्क्यू करके मलबे से निकाले गए कुछ लोग जिंदा होकर भी खुद को जिंदा महसूस नहीं कर रहे। ऐसी ही एक मां है अलीमा। हादसे में अलीमा, उसके 7 और 4 साल के बेटे 18 घंटे तक मलबे में दबे रहे। तीनों को बुधवार सुबह करीब 5.30 बजे निकाला गया। अफसोस मां बच गई, लेकिन दोनों बेटे नहीं बच पाए। हादसे में 14 लोगों की मौत हो गई थी। एक आरटीआई के मुताबिक, पिछले साढ़े पांच सालों में मुंबई में इमारत से जुड़े 2704 हादसों में 234 लोगों की जान गई है और 840 लोग जख्मी हुए हैं।
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छुट्टियां मनाने मुंबई आए थे बच्चे... 28 साल की अलीमा का पति राशिद मुंबई में दर्जी है। उसने केसरबाई बिल्डिंग की पहली मंजिल पर 10 हजार रुपए किराये का मकान लिया था। अलीमा यूपी के गोंडा में रहती है। अलीमा, उसके बेटे शहजाद और हरबाज छुट्टियां मनाने मुंबई आए थे। वे इसी महीने के आखिर में गोंडा वापस जाने वाले थे। जेजे अस्पताल में भर्ती अलीमा के आंसू नहीं रुकते। उसे अफसोस है कि वो मुंबई क्यों आई थी?
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घटनावाले दिन की कहानी... घटना के वक्त अलीमा किचन में खाना बना रही थी। राशिद काम पर जा चुका था। दोनों बच्चे पास ही खेल रहे थे। अचानक इमारत भरभराकर गिर पड़ी। तीनों मलबे में दब गए। अलीम कांक्रीट के एक स्लैब के नीचे फंसी थी। उसे अपने बच्चों के रोने की आवाज सुनाई पड़ रही थी, लेकिन वो लाचार थी। घटना याद करके अलीम फूट-फूटकर रो पड़ती है। अलीमा बताती है कि बच्चों का दम घुट रहा था। वो रोते हुए उन्हें दिलासा देती रही। अगले दिन सुबह एनडीआरएफ और फायर ब्रिगेड की टीमों ने मलबे के बीच से अलीमा और उसके बच्चों की आवाज सुनी। हालांकि उन्हें निकालने में आधा घंटा लग गया।
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