'निल बट्टे सन्नाटा' की स्वरा भास्कर की तर्ज पर इस मां ने जुड़वां बेटियों को दी 12th के एग्जाम में टक्कर

चंद्रपुर, महाराष्ट्र. कोशिशें कभी बेकार नहीं जातीं। 40 वर्षीय मां कल्पना देवीदास मांडले को देखकर यही कहा जा सकता है। ये आंगनबाड़ी में काम करती हैं। ये 10वीं पास नहीं कर पाई थीं, तो लोग खूब ताने मारते थे। इसके बाद उन्होंने ठान लिया कि पढ़ाई जारी रखेंगी। इन्होंने दुबारा 10वीं का एग्जाम दिया और पास होकर दिखाया। इस बार कल्पना ने अपनी जुड़वां बेटियों सौंदर्य और ऐश्वर्या के साथ 12वीं का एग्जाम दिया था। इसमें सौंदर्या के 80 प्रतिशत, ऐश्वर्या के 70 प्रतिशत..तो मां ने 58 प्रतिशत मॉर्क्स लाकर सबको चौंका दिया। ऐसा ही किरदार स्वरा भास्कर ने फिल्म 'निल बट्टे सन्नाटा' में निभाया था। कल्पना अपनी इस सफलता के लिए बेटियों का हौसला बताती हैं। वे कहती हैं कि बेटियों ने हमेशा उन्हें प्रोत्साहित किया। आगे पढ़िए..कल्पना को क्यों छोड़नी पड़ी थी पढ़ाई...

Asianet News Hindi | Published : Jul 21, 2020 7:44 AM IST

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'निल बट्टे सन्नाटा' की स्वरा भास्कर की तर्ज पर इस मां ने जुड़वां बेटियों को दी 12th के एग्जाम में टक्कर

कल्पना बताती हैं कि कम उम्र में शादी होने से उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी। उनके पति प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं। अपनी बेटियों के कहने पर उन्होंने दुबारा पढ़ाई शुरू की। कल्पना कहती हैं कि वे अपनी पढ़ाई जारी रखेंगी। कल्पना टीचर बनना चाहती हैं।

आगे पढ़िए..26 साल बाद दुबारा स्कूल में एडमिशन लेने वाली दादी अम्मा ने किया 12th पास, अब ये कॉलेज पढ़ने जाएंगी

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शिलांग, मेघायल. कहते हैं-'जहां चाह, वहां राह!' 50 साल की उम्र में इस महिला ने 12th का एग्जाम पास करके सबको चौका दिया है। यह महिला (Lakyntiew Syiemlieh) 4 बच्चों की मां है। इसमें से दो बच्चों की शादी हो चुकी है। उनके भी बच्चे हो चुके हैं। इस महिला ने शादी के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी। बेशक महिला ने तीसरी श्रेणी से पास किया है, लेकिन उसके हौसले से सब प्रभावित हैं। अब यह अम्माजी कॉलेज पढ़ने जाएंगी। अम्माजी कहती हैं कि बिना शिक्षा के जीवन बेकार है। बता दें कि अम्माजी ने 1989 में 10वीं का एग्जाम दिया था। लेकिन गणित में कमजोर होने से फेल हो गईं। इसके बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी। 21 साल की उम्र में उनकी शादी हो गई। मगर यह शादी ज्यादा समय नहीं टिक पाई। अपने बच्चों के लालन-पालन के लिए उन्होंने गांव के एक स्कूल में अपने ही समुदाय के बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। 2015 में अम्माजी ने दुबारा स्कूल में एडमिशन लिया था। 2 साल बाद उन्होंने 10वीं पास की और अब 12वीं में झंडे गाड़ दिए। आगे पढ़िए इसी अम्मा की कहानी...
 

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अम्माजी बताती हैं कि उनके लिए जॉब-घर और पढ़ाई के बीच संतुलन बनाना आसान नहीं था। इसलिए उन्होंने स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों की अनुमति से एक साल का अंतराल लिया था। इस दौरान वे स्कूल पढ़ने जाती रहीं। आगे पढ़िए इसी अम्मा की कहानी...

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अम्माजी जिस स्कूल-बलवन कॉलेज में पढ़ीं, उसके प्रिंसिपल फादर लॉरेंस कहते हैं कि पढ़ाई को लेकर ऐसा समर्पण उन्होंने अपनी जिंदगी में पहली बार देखा। आगे पढ़िए इसी अम्मा की कहानी...

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अम्माजी पढ़ाई के अलावा स्कूल की सांस्कृतिक और खेल गतिविधियों में भी बराबर शामिल होती रहीं। वे डांस प्रतियोगिता में शामिल हुईं और गाना भी गाया। आगे पढ़िए इसी अम्मा की कहानी...

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अम्माजी रात को पढ़ाई करती थीं, ताकि किसी को दिक्कत न हो। अम्माजी के परिवार में बेटे-बेटी और पोतियां हैं। स्कूल में महिला को स्टूडेंट्स मां कहकर बुलाते थे। वे कहती हैं कि स्कूल में सब बच्चों ने उन्हें दोस्त की तरह माना। बहुत सहयोग किया। वर्तमान में मैं गांव की स्वंय सहायता समूह से जुड़ी हुई हूं। यह 50 वर्षीय महिला अपने बेटे, बेटी और पोतों के साथ रहती हैं।

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