कोरोना के कहर के बीच आई एक और बीमारी, अस्पताल में जगह नहीं..राज्यों की सीमा पर टेंट में हो रहा इलाज


नागपुर/सूरत. पूरा देश इस वक्त कोरोना महामारी के संकट से जूझ रहा है। हर तरफ सिर्फ लाचारी और हाहाकार मचा हुआ है। वहीं दूसरी तरफ और बुरी खबर सामने आई है। जहां महाराष्ट्र-गुजरात बॉर्डर पर टाइफाइड तेज रफ्तार से फैल रहा है। बाहर से आने वाले भारी संख्या में प्रवासी मजदूर इस बीमारी के शिकार हो रहे हैं। कोरोना के कहर में उनको सही से इलाज तक नहीं मिल पा रहा है। आलम यह है कि बॉर्डर पर ही टेंट में मरीजों का इलाज शुरू कर दिया है। पास के गांवों के डॉक्टरों को जब स्टैंड नहीं मिला तो वह पेड़ों से सेलाइन की बोतलें  बांधकर ड्रिप लगा रहे हैं।

Asianet News Hindi | Published : Apr 20, 2021 12:16 PM IST

14
कोरोना के कहर के बीच आई एक और बीमारी, अस्पताल में जगह नहीं..राज्यों की सीमा पर टेंट में हो रहा इलाज


दरअसल,  टाइफाइड ने महाराष्ट्र और गुजरात की सीमा से सटे करीब 10-12 गांवों को अपनी चपेट में लिया है। जहां के लोग कोरोना से ज्यादा इस बीमारी से डरे हुए हैं। अस्पतालों में कोरोना मरीज भरे पड़े हुए हैं। डॉक्टरों के सामने चुनौती थी कि इनका इलाज कैसे किया जाए। उन्होंने  प्राइमरी हेल्थ सेंटर में आ रहे मरीजों का इलाज खुले में या फिर टेंट लगाकर किया जा रहा है।

24


टाइफाइड  मरीजों का इलाज कर रहे डॉ. नीलेश वलवी बताते हैं कि पिछले 15 दिन से यहां पर टाइफाइड के मरीज ज्यादा संख्या में देखे जा रहे हैं। करीब एक हजार के आसपास मरीजों का मैं इलाज कर चुका हूं। लेकिन मरीजों का यह सिलसिला अभी थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब तो तंबू लगाकर इनका इलाज करना पड़ रहा है।

34


इस बीमारी का सबसे ज्यादा असर गुजरात के सायला, मोगरानी, टाकली, भिलभवाली, नासेरपुर और महाराष्ट्र के पिपलोद, भवाली, वीरपुर में है। जहां से रोजाना सैंकड़ों लोग प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के लिए आ  रहे हैं। यह लोग करीब  800 रुपए इस बीमारी का इलाज कराने का देना पड़ रहा है। कुछ अपने वाहनों से यहां तक आते हैं तो कुछ खटिया पर लेटकर इलाज के लिए आ रहे हैं। यहां का  प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सुबह 11 बजे से रात 11 बजे तक खुला रहा है। हालांकि कई दिन तो पूरी रात डॉक्टरों को इलाज करना पड़ रहा है।
 

44


वहीं रोहिदास नाम के युवक ने बताया कि वह लोय गांव के रहने वाले हैं। उनके रिश्तेदारों को टाइफाइड हो गया है। जब वह इनको लेकर निजी अस्पतालों में इलाज के लिए ले गए तो सभी ने मना कर दिया। आसपास के कई डॉक्टर इलाज के लिए मना कर चुके थे। ऐसे में हम  डॉ. वलवी के पास आए जो टेंट लगाकर मरीजों का इलाज करने में लगे हैं। युवक का कहना है कि भले ही अस्पताल जैसी सुविधा नहीं, लेकिन समय पर इलाज तो हो रहा है, भले ही तंबू में लेटना पड़े या जमीन पर। डॉक्टर साहब लोगों की कम से कम जान तो बचा रहे हैं।

Share this Photo Gallery
click me!

Latest Videos

Recommended Photos