जिन्होंने सीएम की कुर्सी तक पहुंचाया, उन्हीं के खिलाफ खोल दिया मोर्चा
1985 की बात है। अजीत जोगी इंदौर के कलेक्टर थे। उनके बंगले पर फोन आया। दूसरी तरफ से आवाज आई, तुम्हारे पास ढाई घंटे हैं। सोच लो। राजनीति में आना है या कलेक्टर ही रहना है। दिग्विजय सिंह लेने आएंगे, उनको फैसला बता देना। फोन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के पीए वी जॉर्ज का था। अजीत जोगी ने फोन उठाया और राजनीति में आने का फैसला कर लिया। अजीत जोगी ने अर्जुन सिंह को अपना गॉडफादर मान लिया था और दिग्विजय सिंह के खिलाफ के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया।