खून से लथपथ फिर भी आतंकियों को किया ढेर, तो किसी ने मौत को गले लगाकर छुड़ाए दुश्मन के छक्के
नई दिल्ली. आज देश ने 72वां आर्मी डे बनाया। इस मौके पर आर्मी चीफ जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने करियप्पा परेड ग्राउंड में देश के सैनिकों को पराक्रम और शौर्य के लिए सम्मानित किया। भारत हर साल 15 जनवरी को आर्मी डे मनाया जाता है। यह फील्ड मार्शल केएम करियप्पा के सम्मान में मनाया जाता है। करियप्पा ने 15 जनवरी 1949 में भारतीय सेना के पहले कमांडर-इन-चीफ के तौर पर प्रभार लिया था। करियप्पा ने 1947 में भारत पाकिस्तान युद्ध की कमान संभाली थी। हम ऐसी ही वीरता की पांच जवानो की कहानियों को बता रहे हैं, जिन्हें आज सम्मानित किया गया।
Asianet News Hindi | Published : Jan 15, 2020 11:50 AM IST / Updated: Jan 15 2020, 05:25 PM IST
लेफ्टिनेंट जनरल रवींद्र कुमार: कुमार को सेना प्रमुख ने वीरता मेडल से सम्मानित किया। लेफ्टिनेंट जनरल रवींद्र कुमार ने पिछले साल सियाचिन ग्लेशियर में फंसे लोगों का हेलिकॉप्टर की मदद से सफल रेस्क्यू किया था।
मेजर हरप्रीत सिंह: सिंह 22 राष्ट्रीय राइफल्स (पंजाब रेजिमेंट) में हैं। उन्होंने सिंतबर 2018 में सर्च के दौरान आतंकियों का सामना किया। उन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना आतंकियों का पीछा किया और एक आतंकी को मार गिराया। उन्हें सेना मेडल से सम्मानित किया गया।
हवलदार शिवराम: शिवराम 55 राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात थे। उन्होंने 17 फरवरी 2019 को जख्मी होने के बावजूद एक आतंकी को मार गिराया। इसमें वे शहीद हो गए। मरणोपरांत उन्हें वीरता पुरस्कार दिया गया। उनकी पत्नी सुनीता देवी ने सम्मान ग्रहण किया।
मेजर विकास सेहरावत: मेजर विकास 14 राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात थे। उन्होंने सर्च ऑपरेशन के दौरान आतंकियों के छक्के छुड़ा दिए। इस दौरान गोली लगने की वजह से उन्हें ऑपरेशन से बाहर जाना पड़ा, हालांकि, उनके साहस और वीरता के लिए उन्हें वीरता पुरस्कार दिया गया।
सिपाही रमन कुमार: कुमार 62 राष्ट्रीय राइफल्स (डोगरा रेजिमेंट) में तैनात थे। एक जून 2018 को जब उन्होंने अपने कंपनी कमांडर को खाई में गिरते देखा तो उन्होंने उन्हें तुरंत बचाया। हालांकि, वे इस दौरान वीरगति को प्राप्त हो गए। उनकी मां कमलेश देवी को सम्मान दिया गया।